Lord Shiv: सोमवार को महादेव को इस तरह करें प्रसन्न, खुशियों से भर जाएगा जीवन
सनातन धर्म में मुरादें पूरी करने के लिए सोमवार का दिन शुभ माना जाता है क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन महादेव की उपासना की जाती है। साथ ही जीवन के दुख और संकट से छुटकारा पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन पूजा के दौरान मंत्रों का जप करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान शिव को सोमवार का दिन बहुत प्रिय है। इस शुभ अवसर पर साधक भगवान शिव के संग मां पार्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही विवाह में आ रही रुकावट को दूर करने के लिए प्रभु से कामना करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जल्द विवाह के योग बनते हैं और वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है। मान्यता है कि महादेव की पूजा (Lord Shiv Puja Vidhi) के दौरान शिव स्तुति मंत्र का जप करने से साधक को सभी तरह के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
।।शिव स्तुति मंत्र।।
पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।1।
महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।2।
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शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।4।परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।5।न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।6।
अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।7।नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।8।प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।9।
शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।10।त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।11।