Aaj Ka Panchang 26 November 2024: आज है उत्पन्ना एकादशी, नोट करें शुभ मुहूर्त और पढ़ें दैनिक पंचांग
आज मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि भोर 03 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। इस शुभ तिथि पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान कार्य की शुरुआत करने से सफलता प्राप्त होती है। आइए आज के दिन की शुरुआत करने से पहले पंडित हर्षित जी से आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang 26 November 2024) और राहुकाल का समय जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Margashirsha Month Aaj Ka Panchang 26 November 2024: आज उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। यह दिन पूर्ण रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा माना जाता कि जो साधक इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें धन, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है। आज के दिन (Utpanna Ekadashi 2024 Panchang) की शुरुआत करने से पहले यहां दिए गए शुभ व अशुभ समय को अवश्य जान लें, जो इस प्रकार हैं -
Aaj Ka Panchang 26 November 2024: आज का पंचांग -
पंचांग के अनुसार, आज मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि भोर 03 बजकर 49 मिनट तक रहेगी।ऋतु - शरद
चन्द्र राशि - कन्या
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 43 मिनट परसूर्यास्त - शाम 05 बजकर 20 मिनट पर
चन्द्रोदय - रात्रि 03 बजकर 09 मिनट परचन्द्रास्त - दोपहर 02 बजकर 34 मिनट पर
शुभ मुहूर्त
द्विपुष्कर योग - सुबह 04 बजकर 35 मिनट से रात्रि 06 बजकर 54 मिनट तक (27 नवंबर)ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 05 मिनट से 05 बजकर 59 मिनट तक विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 21 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तकनिशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट तक।अशुभ समय
राहु काल - दोपहर 02 बजकर 52 मिनट से 04 बजकर 11 मिनट तक गुलिक काल - दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 01 बजकर 34 मिनट तक।दिशा शूल - उत्तर।ताराबल
अश्विनी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद।चन्द्रबल
मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन।विष्णु जी के पूजा मंत्र (Ekadashi 2024 Pujan Mantra)
- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदया।।