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Geeta Jayanti 2024 Date: मार्गशीर्ष महीने में कब है गीता जयंती? जानें शुभ मुहूर्त एवं महत्व

धार्मिक मत है कि मार्गशीर्ष महीने में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा (Geeta Jayanti Importance) करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही स्वर्ग समान सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से अगहन महीने में प्रतिदिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा एवं साधना करते हैं। इस महीने में गीता का दान भी किया जाता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 14 Nov 2024 07:18 PM (IST)
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Geeta Jayanti 2024 Date: गीता जयंती का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन गीता जयंती मनाई जाती है। इस तिथि को मोक्षदा एकादशी भी मनाई जाती है। यह महीना जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण को अति प्रिय है। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने गीता उपदेश में अर्जुन से कहते हैं कि महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं। सनातन शास्त्रों में निहित है कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपने परम शिष्य अर्जुन को गीता उपदेश दिया था। अतः हर वर्ष मार्गशीर्ष महीने में गीता जयंती (Geeta Jayanti 2024) मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। आइए, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं-

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गीता जयंती शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगी और 12 दिसंबर को देर रात 01 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 11 दिसंबर को गीता जयंती मनाई जाएगी।

गीता जयंती पूजा विधि

गीता जयंती के दिन ब्रह्म बेला में उठें। इस समय सबसे पहले भगवान कृष्ण को प्रणाम करें। इसके बाद दिन की शुरुआत करें। अब दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर स्वयं को शुद्ध कर पीले रंग का वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। तत्पश्चात, पंचोपचार कर विधि- विधान से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। इस समय 'गीता' पाठ अवश्य करें। अंत में आरती कर सुख, समृद्धि और शांति की कामना भगवान विष्णु से करें।

गीता जयंती शुभ योग

ज्योतिषियों की मानें तो मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को वरीयान योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही रवि योग और भद्रावास योग के भी  संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही साधक को सभी संकटों से मुक्ति मिलेगी।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।