Move to Jagran APP

Hanuman Chalisa: कब और किसने लिखी हनुमान चालीसा? पढ़ें इससे जुड़ी रोचक कथा

मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। इससे जातक के जीवन में आने वाले सभी संकट दूर होते हैं। इसके अलावा किसी शुभ दिन पर 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति और गुणों की वृद्धि होती है। क्या आपको पता है कि हनुमान चालीसा के रचनाकार कौन हैं? अगर नहीं पता तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 24 Jun 2024 03:35 PM (IST)
Hero Image
Hanuman Chalisa: कब और किसने लिखी हनुमान चालीसा? पढ़ें इससे जुड़ी रोचक कथा
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hanuman Chalisa: सनातन धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित है। ऐसे में मंगवलार के दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही जीवन के दुखों को दूर करने के लिए व्रत भी किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि बजरंगबली की पूजा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। पूजा के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

यह भी पढ़ें: Ashadha Amavasya 2024: आषाढ़ माह में कब है अमावस्या? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

सनातन धर्म ग्रंथों की मानें तो जहां पर राम कथा और राम संवाद होता है वहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी जरूर आते हैं। अत: एक दिन राम कथा सुनाने के दौरान तुलसीदास की मुलाकात एक मनुष्य से हुई। तुलसीदास समझ गए कि वह असाधारण मनुष्य नहीं है बल्कि कोई अदृश्य शक्ति है।

इसके बाद उस शक्ति ने राम जी के परम भक्त तुलसीदास को बजरंगबली से मुलाकात का स्थान बताया। कालांतर में प्रेत द्वारा बताए गए स्थान पर तुलसीदास की मुलाकात हनुमान जी से हुई। उनसे मुलाकात कर तुलसीदास सुध बुध खो बैठे। इसके बाद उन्होंने भगवान श्रीराम से मुलाकात के लिए विनती की। उनकी इस प्रार्थना पर हनुमान जी बोले-आप चित्रकूट जाएं। भगवान राम आपको चित्रकूट में ही दर्शन देंगे। इसके पश्चात तुलसीदास ने बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा लिखी। इससे वह बेहद प्रसन्न हुए। ऐसा बताया जाता है कि भक्ति आंदोलन के दौरान ही तुलसीदास ने हनुमान चालीसा की रचना की थी।

हनुमान चालीसा का पाठ

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि।

बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।

जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

राम दूत अतुलित बल धामा।

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन बरन बिराज सुबेसा।

कानन कुण्डल कुँचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।

कांधे मूंज जनेउ साजे।।

शंकर सुवन केसरी नंदन।

तेज प्रताप महा जग वंदन।।

बिद्यावान गुनी अति चातुर।

राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।

बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे।

रामचन्द्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये।

श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।

अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।

नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।

कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।

राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।

लंकेश्वर भए सब जग जाना।।

जुग सहस्र जोजन पर भानु।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।

जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।

तुम रच्छक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनों लोक हांक तें कांपै।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।

महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरे सब पीरा।

जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा।

तिन के काज सकल तुम साजा।।

और मनोरथ जो कोई लावै।

सोई अमित जीवन फल पावै।।

चारों जुग परताप तुम्हारा।

है परसिद्ध जगत उजियारा।।

साधु संत के तुम रखवारे।।

असुर निकन्दन राम दुलारे।।

अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।

अस बर दीन जानकी माता।।

राम रसायन तुम्हरे पासा।

सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुह्मरे भजन राम को पावै।

जनम जनम के दुख बिसरावै।।

अंत काल रघुबर पुर जाई।

जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

सङ्कट कटै मिटै सब पीरा।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जय जय जय हनुमान गोसाईं।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

जो सत बार पाठ कर कोई।

छूटहि बन्दि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।

दोहा

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

जय श्रीराम, जय हनुमान, जय हनुमान।

यह भी पढ़ें: Shani Ulti Chal 2024: शुरू हो रही है शनि की उल्टी चाल, इन राशियों के जीवन पर पड़ेगा गहरा असर

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।