Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर गंगा स्नान के साथ करें ये काम, होगी मोक्ष की प्राप्ति
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान दान-पुण्य चंद्रमा को अर्घ्य देना बहुत अच्छा माना जाता है। इस साल यह 22 जून यानी आज के दिन मनाई जा रही है। इस शुभ अवसर पर गंगा स्नान जरूर करना चाहिए। यदि किसी वजह से आप गंगा नदी में डुबकी लगाने नहीं जा पा रहे हैं तो घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा अत्यधिक शुभ मानी जाती है। इस तिथि पर भगवान शिव, श्री हरि और चंद्र देव की पूजा फलदायी मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य, सत्यनारायण व्रत, चंद्रमा को अर्घ्य देना बहुत अच्छा माना जाता है। इस साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima 2024) 22 जून, 2024 यानी आज के दिन मनाई जा रही है। इस शुभ अवसर पर गंगा स्नान जरूर करना चाहिए। यदि किसी वजह से आप गंगा नदी में डुबकी लगाने नहीं जा पा रहे हैं, तो घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
इसके बाद उनके नाम का दीपक जलाएं। फिर कुमकुम, फूल, फल, मिठाई आदि चीजें अर्पित करें। अंत में गंगा चालीसा का पाठ करें और आरती से पूजा पूर्ण करें।
॥गंगा चालीसा॥
''दोहा''जय जय जय जग पावनी,
जयति देवसरि गंग।
जय शिव जटा निवासिनी,अनुपम तुंग तरंग॥चौपाईजय जय जननी हरण अघ खानी।आनंद करनि गंग महारानी॥जय भगीरथी सुरसरि माता।कलिमल मूल दलनि विख्याता॥जय जय जहानु सुता अघ हनानी।भीष्म की माता जगा जननी॥धवल कमल दल मम तनु साजे।लखि शत शरद चंद्र छवि लाजे॥वाहन मकर विमल शुचि सोहै।अमिय कलश कर लखि मन मोहै॥
जड़ित रत्न कंचन आभूषण।हिय मणि हर, हरणितम दूषण॥जग पावनि त्रय ताप नसावनि।तरल तरंग तंग मन भावनि॥जो गणपति अति पूज्य प्रधाना।तिहूं ते प्रथम गंगा स्नाना॥ब्रह्म कमंडल वासिनी देवी।श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥साठि सहस्त्र सागर सुत तारयो।गंगा सागर तीरथ धरयो॥अगम तरंग उठ्यो मन भावन।लखि तीरथ हरिद्वार सुहावन॥तीरथ राज प्रयाग अक्षैवट।
धरयौ मातु पुनि काशी करवट॥धनि धनि सुरसरि स्वर्ग की सीढी।तारणि अमित पितु पद पिढी॥भागीरथ तप कियो अपारा।दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥जब जग जननी चल्यो हहराई।शम्भु जाटा महं रह्यो समाई॥वर्ष पर्यंत गंग महारानी।रहीं शम्भू के जटा भुलानी॥पुनि भागीरथी शंभुहिं ध्यायो।तब इक बूंद जटा से पायो॥ताते मातु भइ त्रय धारा।
मृत्यु लोक, नाभ, अरु पातारा॥गईं पाताल प्रभावति नामा।मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनि।कलिमल हरणि अगम जग पावनि॥धनि मइया तब महिमा भारी।धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी।धनि सुरसरित सकल भयनासिनी॥पान करत निर्मल गंगा जल।पावत मन इच्छित अनंत फल॥पूर्व जन्म पुण्य जब जागत।
तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥जई पगु सुरसरी हेतु उठावही।तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥महा पतित जिन काहू न तारे।तिन तारे इक नाम तिहारे॥शत योजनहू से जो ध्यावहिं।निशचाई विष्णु लोक पद पावहिं॥नाम भजत अगणित अघ नाशै।विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशै॥जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना।धर्मं मूल गंगाजल पाना॥तब गुण गुणन करत दुख भाजत।
गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥गंगाहि नेम सहित नित ध्यावत।दुर्जनहुँ सज्जन पद पावत॥बुद्दिहिन विद्या बल पावै।रोगी रोग मुक्त ह्वै जावै॥गंगा गंगा जो नर कहहीं।भूखे नंगे कबहु न रहहि॥निकसत ही मुख गंगा माई।श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥महाँ अधिन अधमन कहँ तारें।भए नर्क के बंद किवारें॥जो नर जपै गंग शत नामा।सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥
सब सुख भोग परम पद पावहिं।आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥धनि मइया सुरसरि सुख दैनी।धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥कंकरा ग्राम ऋषि दुर्वासा।सुन्दरदास गंगा कर दासा॥जो यह पढ़े गंगा चालीसा।मिली भक्ति अविरल वागीसा॥दोहानित नव सुख सम्पति लहैं।धरें गंगा का ध्यान।अंत समय सुरपुर बसै।सादर बैठी विमान॥
संवत भुज नभ दिशि ।राम जन्म दिन चैत्र।पूरण चालीसा कियो।हरी भक्तन हित नैत्र॥यह भी पढ़ें: Ashadha Month 2024: आषाढ़ माह में जरूर करें इस वृक्ष की पूजा, जानें नियमअस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।