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Kartik Amavasya 2024: कब है कार्तिक अमावस्या, इस पाठ को करने से ग्रह दोष से मिलेगा छुटकारा

कार्तिक अमवास्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करना और गरीबों व जरूरतमंदों में दान आदि करना बहुत ही शुभ माना जाता है। साथ ही इस दिन पर सूर्य देव को अर्घ्य देने से भी लाभ मिलता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आपको कार्तिक अमावस्या पर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आप बुरे परिणामों से बचे रह सकें।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 22 Oct 2024 06:33 PM (IST)
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Kartik Amavasya 2024 कब है कार्तिक अमावस्या।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है। इसी प्रकार कार्तिक अमावस्या भी एक महत्वपूर्ण तिथि मानी गई है, क्योंकि इस तिथि पर दीपावली मनाई जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि कार्तिक माह की अमावस्या कब मनाई जाएगी और इस दिन पर स्नान-दान का मुहूर्त क्या रहने वाला है।

कब है कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya Muhurat)

कार्तिक माह की अमावस्या का प्रारम्भ 31 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 01 नवंबर को शाम 06 बजकर 16 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में कार्तिक अमावस्या शुक्रवार, 01 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन स्नान-दान का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -

  • स्नान-दान का मुहूर्त - प्रातः 04 बजकर 50 सुबह 05 बजकर 41 मिनट तक
  • प्रदोष काल - शाम 05 बजकर 36 मिनट तक रात 08 बजकर 11 मिनट तक

रखें इन बातों का ध्यान

अमावस्या के दिन जप-तप-व्रत करना बहुत ही शुभ माना गया है। साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। साथ ही इस दिन तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज और मांस-मदिरा आदि से भी बचना चाहिए। साथ ही यह माना जाता है कि अमावस्या तिथि पर नकारात्मक शक्तियां प्रबल होती हैं। ऐसे में श्मशान घाट या किसी सूनसान जगह आदि पर जाने से बचना चाहिए।

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करें इस स्तोत्र का पाठ

कार्तिक अमवास्या के दिन सुबह के समय नवग्रह स्त्रोत का पाठ करना काफी शुभ माना जाता है। इसके पाठ द्वारा ग्रह संबंधित दोष दूर हो सकते हैं। तो चलिए पढ़ते हैं नवग्रह स्त्रोत -

श्री नवग्रह स्तोत्र पाठ

जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं।

तमोरिसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं।। (रवि)

दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवं।

नमामि शशिनं सोंमं शंभोर्मुकुट भूषणं।। (चंद्र)

धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांतीं समप्रभं।

कुमारं शक्तिहस्तंच मंगलं प्रणमाम्यहं।। (मंगल)

प्रियंगुकलिका शामं रूपेणा प्रतिमं बुधं।

सौम्यं सौम्य गुणपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहं।। (बुध)

देवानांच ऋषिणांच गुरुंकांचन सन्निभं।

बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं।। (गुरु)

हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूं।

सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहं।। (शुक्र)

नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्वरं।। (शनि)

अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनं।

सिंहिका गर्भसंभूतं तं राहूं प्रणमाम्यहं।। (राहू)

पलाशपुष्प संकाशं तारका ग्रह मस्तकं।

रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहं।। (केतु)

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।