Rohini Vrat 2024: रोहिणी व्रत आज, एक क्लिक में पढ़ें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र
रोहिणी व्रत का जैन समुदाय में बहुत बड़ा महत्व है। यह पावन व्रत हर महीने रखा जाता है। इस दिन साधक भगवान वासुपूज्य की उपासना करते हैं। इस बार यह व्रत (Rohini Vrat 2024) आज यानी 17 नवंबर 2024 को रखा जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रोहिणी व्रत जैन समुदाय में एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जिसे मुख्य रूप से महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए रखती हैं। यह व्रत हर महीने रखा जाता है। इस महीने यह व्रत आज यानी 17 नवंबर 2024 को रखा जा रहा है। यह व्रत रोहिणी नक्षत्र से भी जुड़ा हुआ है, जो जैन और हिंदू दोनों कैलेंडर में 27 नक्षत्रों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत (Rohini Vrat 2024) के प्रभाव से लोगों के सभी दुख दूर होते है। इसके साथ ही परिवार में सौभाग्य और खुशहाली आती है, तो चलिए इस व्रत से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।
रोहिणी व्रत पूजा विधि (Rohini Vrat 2024 Puja Vidhi)
रोहिणी व्रत लगातार तीन, पांच या सात साल तक रखा जा सकता है, हालांकि सबसे शुभ नियम इसका पांच साल और पांच महीने का माना जाता है, जो पारण अनुष्ठान के साथ पूरा होता है। रोहिणी व्रत के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं आमतौर पर जल्दी उठकर पवित्र स्नान करने से शुरुआत करती हैं। फिर चौबीस तीर्थंकरों में से एक, भगवान वासुपूज्य (Vasupujya Bhagwan) की प्रतिमा को एक वेदी पर स्थापित किया जाता है।फिर उन्हें पवित्र जल से स्नान कराया जाता है और चंदन आदि का लेप किया जाता है। फिर फल, फूल, गंध, दूर्वा आदि चीजें अर्पित करनी चाहिए। ध्यान करें और वैदिक मंत्रों का जाप करें। विधिवत आरती करें।इसके बाद व्रती सूर्यास्त से पहले पूजा-पाठ करने के बाद फलाहार करें। इस व्रत में रात्रि को भोजन न करने की मान्यता है। ऐसे में अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर अपने व्रत का पारण करें।
पारण के दौरान अवश्य करें ये काम (Rohini Vrat 2024 Parana Rules)
रोहिणी व्रत का समापन एक सही उद्यापन अनुष्ठान के साथ किया जाता है, जिसमें जरूरतमंदों को दान देना, वासुपूज्य भगवान के मंदिर का दर्शन करना व अन्य धार्मिक कार्यों को करना शामिल है।
रोहिणी व्रत शुभ मुहूर्त (Rohini Vrat 2024 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, द्विपुष्कर योग शाम 05 बजकर 22 मिनट से रात्रि 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 26 मिनट से 05 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। इसके साथ निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। वहीं, चन्द्रोदय शाम 06 बजकर 29 मिनट पर रहेगा। इस दौरान आप किसी भी प्रकार का पूजा अनुष्ठान कर सकते हैं।पूजन मंत्र (Vasupujya Bhagwan Mantra)
- ॐ ह्रीं श्री वासुपूज्यजिनेन्द्राय नम: