Pradosh Vrat 2024: रवि प्रदोष व्रत पर करें शिव तांडव स्तोत्र का पाठ, बरसेगी भोलेनाथ की कृपा
हर माह की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत (September Ravi Pradosh Vrat) किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर श्रद्धापूर्वक व्रत आदि करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और साधक पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। इस दिन आप महादेव की पूजा के दौरान शिव तांडव स्तोत्र का पाठ कर शुभ फलों की प्राप्ति भी कर सकते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन श्रद्धापूर्वक शिव जी की पूजा-अर्चना और व्रत करने से साधक के जीवन में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक, आश्विन माह का पहला प्रदोष व्रत रविवार, 29 सितंबर को किया जाएगा। क्योंकि यह व्रत रविवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा। माना जाता है कि इस दिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से महादेव आपसे प्रसन्न हो सकते हैं। जिससे जीवन से दुख-दर्द दूर होते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
शिव तांडव स्तोत्र (Shiv Tandav Stotram)
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थलेगलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयंचकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥॥
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरीविलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावकेकिशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥॥धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदिक्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥॥जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभाकदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरेमनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥॥सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखरप्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटकश्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥॥ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभानिपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरंमहाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥॥करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वलद्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रकप्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥॥
नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरःकलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥॥प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभावलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥॥अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरीरसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकंगजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥॥यह भी पढ़ें - Pradosh Vrat 2024: जीवन की सभी समस्याओं का चाहते हैं अंत, तो प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वसद्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गलध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥॥दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोःसमं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥॥कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ।विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकःशिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥॥निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशंपरिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥॥
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शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥॥इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवंपठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिंविमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥॥पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतंयः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तांलक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥॥
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