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Surya Grahan 2024: अक्टूबर महीने में कब लगेगा सूर्य ग्रहण? नोट करें सही समय एवं सूतक काल

सनातन धर्म में अमावस्या (Ashwin Amavasya) तिथि पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है। इसके साथ ही पूजा जप-तप एवं दान-पुण्य किया जाता है। बड़ी संख्या में साधक अमावस्या तिथि पर गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके बाद विधि-विधान से जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इस तिथि पर सूर्य ग्रहण लगने वाला है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 08 Sep 2024 07:15 PM (IST)
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Ashwin Amavasya: आश्विन अमावस्या का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Surya Grahan 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, 02 अक्टूबर को आश्विन अमावस्या है। सनातन धर्म में आश्विन अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि के अगले दिन से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है। शारदीय नवरात्र का त्योहार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही मां दुर्गा के निमित्त नौ दिनों तक नवरात्र का व्रत रखा जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन अमावस्या पर वर्ष का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण लगने वाला है। आइए, साल के दूसरे सूर्य ग्रहण के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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शुभ मुहूर्त

आश्विन अमावस्या 01 अक्टूबर को रात 09 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 03 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट पर होगा। उदया तिथि गणना के अनुसार 02 अक्टूबर को आश्विन अमावस्या मनाई जाएगी। साधक 2 अक्टूबर को स्नान-ध्यान कर पूजा, जप-तप कर सकते हैं।

ग्रहण कैसे लगता है ?

सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि को लगता है। सूर्य और पृथ्वी के मध्य चंद्रमा के आ जाने पर सूर्य ग्रहण लगता है। ग्रहण के समय पृथ्वी पर राहु का प्रभाव बढ़ जाता है। अतः ग्रहण के समय कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसके साथ ही खानपान से परहेज करने की सलाह दी जाती है। वहीं, गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखना चाहिए।

कब लगेगा सूर्य ग्रहण?

ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन अमावस्या यानी 02 अक्टूबर के दिन साल का दूसरा एवं अंतिम सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। अतः सूर्य ग्रहण के दिन सूतक मान्य नहीं होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण दिखने पर सूतक लगता है। चंद्र ग्रहण के दौरान 9 घंटे का सूतक होता है। वहीं, सूर्य ग्रहण के दौरान 12 घंटे का सूतक रहता है। हालांकि, ग्रहण के दौरान शास्त्र द्वारा निर्धारित नियमों का पालन अवश्य करें।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।