अगर वॉट्सऐप भारत छोड़ती है तो उसकी जगह लेने वाला फिलहाल दूर-दूर तक कोई भारतीय मैसेजिंग ऐप नहीं दिखता। लेकिन एक वक्त था जब एक भारतीय मैसेजिंग ऐप ना सिर्फ वॉट्सऐप को टक्कर दे रहा था बल्कि कई मामलों में उससे आगे भी था। नाम था हाइक मैसेंजर (Hike Messenger)। इसकी बुनियाद रखी थी कविन भारती मित्तल ने साल 2012 में। आइए जानते हैं इस ऐप की पूरी कहानी।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। इस वक्त प्राइवेसी मसले को लेकर सरकार और अमेरिकी सोशल मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप के बीच तनातनी चरम पर है। सरकार फेक न्यूज पर लगाम कसने के लिए वॉट्सऐप से मेसेज का ओरिजिन जानना चाहती है, मतलब कि मैसेज को पहली बार किस यूजर ने भेजा।
लेकिन, इसके लिए मेटा के मालिकाना हक वाले वॉट्सऐप को एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन तोड़ना होगा, जो मेसेज को सेंडर और रिसीवर के बीच प्राइवेट रखता है। वॉट्सऐप ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट कह दिया है कि अगर उसे एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन तोड़ने के मजबूर किया जाता है, तो उसके पास भारत से अपना कारोबार समेटने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा।
यह भी पढ़ें : WhatsApp Controversy: वॉट्सऐप और भारत सरकार के बीच क्या है तकरार की वजह?अगर वॉट्सऐप भारत छोड़ती है, तो उसका जगह लेने वाला फिलहाल दूर-दूर तक कोई भारतीय मैसेजिंग ऐप नहीं दिखता। एक वक्त था, जब एक भारतीय मैसेजिंग ऐप ना सिर्फ वॉट्सऐप को टक्कर दे रहा था, बल्कि कई मामलों में उससे आगे भी था। उसका नाम था, हाइक मैसेंजर (Hike Messenger)। इस ऐप की बुनियाद रखी थी कविन भारती मित्तल ने, साल 2012 में ।
कविन दिग्गज टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल के फाउंडर सुनील भारती मित्तल के बेटे हैं, तो उन्हें फंडिंग जैसे मोर्चे पर ज्यादा समस्या नहीं हुई। उनका मैसेंजर ऐप भी अपने वक्त से काफी आगे था। उस जमाने में हाइक के पास स्टिकर, वॉयस कॉल, पेमेंट वॉलेट, गेम्स, क्रिकेट स्कोर अपडेट और न्यूज चैनल जैसे एडवांस फीचर थे, जब ज्यादातर मैसेजिंग ऐप में इसका अभाव था। खासकर, हाइक के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी वॉट्सऐप में।
क्या खास था हाइक में
कविन का मकसद हाइक को भारत की वीचैट बनाना था। वीचैट चीन का अपना सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप है। कविन अपने मकसद में एक हद तक सफल भी हुए। लॉन्च होने के एक ही साल बाद हाइक सबसे तेजी से बढ़ने वाला ऐप बन गया। उस समय में यह भारत में एंड्रॉयड और आईफोन पर सबसे ज्यादा डाउनलोड होने वाला ऐप भी था।
हाइक के पास कई यूनीक फीचर थे। जैसे कि दो-तरफा चैट थीम, वॉयस कॉलिंग, वीडियो कॉलिंग, 100 मेंबर तक की कॉन्फ्रेंस कॉल, 1000 लोगों का ग्रुप, हिडन चैट, न्यूज, क्रिकेट स्कोर, रीजनल स्टीकर और भी बहुत कुछ। यही वजह था कि इसकी लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ी। निवेशकों ने फंडिंग भी बढ़ाई।हाइक के आखिरी राउंड की फंडिंग साल 2016 में हुई और इसका वैल्यूएशन बढ़कर 1.4 डॉलर हो गया। यह देश का 10वां यूनिकॉर्न बन गया। मतलब कि फ्लिपकार्ट, पेटीएम, ओला और स्नैपडील जैसे दिग्गजों की लिस्ट में शुमार हो गया था हाइक। सिर्फ तीन साल में इसके यूजर 10 करोड़ के पार पहुंच गए। कंपनी अपडेट भी धड़ाधड़ दे रही थी।
हाइक की कामयाबी इसलिए भी बेमिसाल थी कि यह रिलायंस जियो वाले दौर के पहले की बात थी, जब डेटा हर किसी के लिए किफायती नहीं था।
हाइक बंद क्यों हुआ?
अब सवाल उठता है कि जब हाइक के पास सबकुछ था, तो यह बर्बाद कैसे हो गया। इसका जवाब सवाल में ही छिपा है। दरअसल, हाइक ने हर फन में हाथ आजमाने की कोशिश की, लेकिन हर फन अधूरा रहा। इन सबके बीच उसकी यूएसपी कहीं खो गई, जो थी उसके दिलचस्प स्टीकर। यह न्यूज, ऑडियो-वीडियो कॉल और यहां तक कि पेमेंट जैसे फीचर देने लगा।
उस जमाने में किसी मैसेजिंग ऐप में ये चीजें लोगों को गैरजरूरी लगती थीं और इनसे ऐप बेवजह जटिल बन जाता था। साथ ही, यह सिर्फ नौजवानों को लुभाने की कोशिश कर रहा था। उम्रदराज वर्ग पर इसने कोई ध्यान नहीं दिया।वहीं, दूसरी ओर हाइक का मुख्य प्रतिद्वंद्वी वॉट्सऐप सिर्फ मैसेजिंग पर फोकस करके अपने यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर कर रहा था। इसका इंटरफेस काफी सरल था, जिससे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक भी इसे आसानी से चला सकते हैं। और जियो की डेटा क्रांति के बाद यह यूजर वर्ग काफी बड़ा गया, जो हाइक से छिटक चुका था।
साल 2018 तक तो हाइक के डेली एक्टिव यूजर की संख्या 90,000 तक आ गई थी। कविन को बाद में अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्होंने अप्रैल 2019 में स्टिकर वाले एक्सपीरियंस के साथ हाइक मैसेंजर को हाइक स्टिकर चैट ऐप के रूप में रीब्रांड किया। लेकिन, उस वक्त हाइक मार्केट में काफी पिछड़ गया था। वहीं, वॉट्सऐप के मंथली एक्टिव यूजर की संख्या 40 करोड़ तक पहुंच गई थी।
कविन ने क्या बताई नाकामी की वजह?
आखिर में वॉट्सऐप, फेसबुक मैसेंजर, टेलीग्राम आदि जैसे पश्चिमी ऐप के साथ प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने के बाद हाइक ने जनवरी 2021 में आत्मसमर्पण कर दिया। हाइक के फाउंडर और सीईओ कविन भारती मित्तल ने एक्स (तब ट्विटर) पर अपने मैसेजिंग ऐप को बंद करने की जानकारी दी। उन्होंने हाइक की नाकामी की तोहमत पश्चिमी कंपनियों पर डाली।कविन ने कहा कि भारत का कभी कोई अपना मैसेजिंग ऐप नहीं हो सकता, क्योंकि देश में पश्चिमी कंपनियों का दबदबा काफी मजबूत है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत अपना मैसेंजर ऐप चाहता है, तो पश्चिमी कंपनियों पर नकेल कसना एक विकल्प हो सकता है। जैसा कि चीन में वीचैट को बढ़ावा देकर कर रखा है।
हालांकि, भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में चीन जैसा काम करना मुश्किल है। वहीं, अगर वॉट्सऐप भारत से अपना बोरिया बिस्तर समेटकर जाती है, तो क्या पता फिर से हाइक जैसे किसी भारतीय मैसेंजर ऐप को फलने-फूलने का मौका मिल जाए।
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