15 लाख का घोटाला, 6 साल बाद फिर खुली फाइल; मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार ने शुरू कराई जांच
अमरोहा में छह साल पहले हुए 15 लाख के घोटाले की जांच शासन ने फिर शुरू की है। मंडलायुक्त ने डीडी पंचायत को जांच सौंपी है। यह घोटाला 14वें वित्त और राज्य वित्त से मिली धनराशि को सफाई कर्मी के खाते में डालकर किया गया था। इसमें पंचायत सचिव और प्रधान शामिल हैं, जिनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज है। मामला अदालत में विचाराधीन है।

मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार।
जागरण संवाददाता, अमरोहा। करीब छह साल पहले हुए करीब 15 लाख रुपये के घोटाले का जिन्न फिर बोतल से बाहर आ गया है। मामले में शासन ने संज्ञान लिया है और फिर से जांच कर रिपोर्ट मांगी है। मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार ने घोटाले की जांच डीडी पंचायत मुरादाबाद अभय यादव को सौंप दी है। जांच शुरू करते हुए उन्होंने जनपद के अधिकारियों को पत्र जारी कर अवगत कराया है और विभागीय अधिकारियों से प्रकरण से संबंधित जानकारी व अभिलेख मांगे हैं।
यह घपलेबाजी 14 वें व राज्य वित्त के तहत 25 पंचायतों को मिली धनराशि सफाई कर्मचारी के व्यक्तिगत खाते में डालकर की गई थी। जिसमें दस पंचायत सचिव व 25 तत्कालीन प्रधान फंसे हैं। उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने भी चार्जशीट दाखिल कर दी थी। अब यह मामला अदालत में विचाराधीन है।
शासन ने फिर शुरू कराई जांच, मंडलायुक्त ने डीडी पंचायत को सौंपी
यह मामला वर्ष 2019 का है। हसनपुर ब्लाक क्षेत्र की 25 पंचायतों के विकास के लिए मिली ग्राम निधि,14वें वित्त व राज्य वित्त की करीब 15 लाख रुपये की धनराशि सफाई कर्मचारी असलम के व्यक्तिगत खाते में ट्रांसफर की गई थी। जांच में यह मामला करीब 15 लाख रुपये का निकला था। जांच में गड़बड़झाला मिलने के बाद तत्कालीन प्रभारी डीपीआरओ विमल कुमार ने दस पंचायत सचिवों, सफाई कर्मचारी व 25 ग्राम प्रधानों के खिलाफ सैदनगली व रजबपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके बाद सचिवों को निलंबित करते हुए प्रधानों को नोटिस जारी किए गए थे। लेकिन, बाद में सचिवों को बहाल कर दिया गया था। पुलिस ने भी चार्जशीट दाखिल कर दी थी।
सीडीओ को भी कराया अवगत, विभागीय अधिकारियों से मांगी जानकारी
ग्राम विकास विभाग ने सभी वीडीओ के वेतन से धनराशि की वसूली की थी लेकिन, पंचायत विभाग ने किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। तब से यह प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन चल रहा था। शासन ने मामले का अचानक संज्ञान लिया है। जिसके बाद प्रकरण फिर चर्चा में आ गया है। उसने मंडलायुक्त से जांच कराकर रिपोर्ट मांगी है। मंडलायुक्त के निर्देश पर डीडी पंचायत ने मामले की जांच शुरू कर दी है। स्थानीय अधिकारियों को पत्र जारी किया है। जिसके बाद फिर से अधिकारियों और कर्मचारियों की धड़कनें बढ़ गई हैं।
तत्कालीन डीएओ से भी हो सकती है पूछताछ
यदि इस प्रकरण की जांच सही तरीके से हुई तो कई अधिकारियों की गर्दन का फंसना लाजमी है। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद तत्कालीन डीएम ने मामले की जांच तत्कालीन जिला कृषि अधिकारी राजीव कुमार सिंह को सौंप दी थी। उन्होंने पंचायत सचिवों को क्लीन चिट दे दी थी। रिपोर्ट में लिखा था कि धनराशि सही थी और खर्च कर दी गई है। ताज्जुब की बात ये है कि पुलिस ने मामले में चार्जशीट दाखिल की है और अधिकारियों ने वीडीओ के वेतन से धनराशि की वसूली की है, उसके बाद भी डीएओ ने सचिवों को क्लीनचिट कैसे दी। इस सवाल को लेकर उनकी भूमिका भी शक के दायरे में है।
इन पंचायतों के तत्कालीन प्रधानों पर हुई थी प्राथमिकी दर्ज
सूमाठेर, दीपपुर, मछरई, ईशापुर शर्की, झुंडी माफी, बिजनौरा, ढक्का, सब्दलपुर शर्की, बहापुर, तसिया, रझोहा, कूबी, अल्लीपुर भूड़ शर्की, कुंदरकी भूड़, चौकनी, लुहारी भूड़, इकौंदा, बेगपुर मुंडा, फैय्याजनगर, घरौंट, चमरपतेई, दमगढ़ी, पीपली मेघचंद, तुकलकाबाद, रझेड़ा।
इन पंचायत सचिवों पर हुई थी प्राथमिकी दर्ज
ग्राम विकास अधिकारी कपिल कुमार, सुमित कुमार, खुर्शीद अहमद, दिनेश कुमार, ब्रजेश कुमार, कृपाल सिंह व पंचायत विभाग के सचिव योगेंद्र कुमार, सतेंद्र कुमार, नासिम, भगत सिंह।
मामला काफी पुराना है। डीडी पंचायत जांच कर रहे हैं। उनका पत्र मिला है। जांच में जो भी सहयोग होगा, उनको दिलवाया जाएगा। अधिकारियों से भी प्रकरण के बारे में जाना जाएगा। अश्विनी कुमार मिश्र, सीडीओ।

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