SIR का कमाल: वोट डालने के लिए चाहिए मायके की ID!, सरकारी फॉर्म ने कराया 'रूठे' परिवारों का मिलन
मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) बना भावनात्मक सेतु का काम कर रहा है। प्रेम विवाह कर सालों पहले घर छोड़ने वाली युवतियों को EPIC ID के लिए स्वजन से संपर्क क ...और पढ़ें
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फार्म चेक करते बीएलओ
जागरण संवाददाता, बदायूं। सदर तहसील क्षेत्र के गांव नवादा की एक युवती चार साल पहले अपने प्रेमी के साथ चली गई थी। स्वजन ने काफी तलाश की प्राथमिकी भी दर्ज कराई। पुलिस ने छानबीन कर उसे तलाश लिया, लेकिन युवती बालिग थी, लिहाजा उसने अपने प्रेमी के साथ रहने की बात कही और उसी के साथ चली गई मामला रिश्तेदारी का था, लेकिन फिर भी बात नहीं बनी।
चार साल से दोनों परिवारों के बीच बातचीत बंद थी। युवती की कभी अपने स्वजन से बातचीत नहीं हुई। लेकिन अब जब पूरे प्रदेश में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण यानि एसआइआर किया जा रहा है। तब उस युवती को अपनों की याद आई। उसने घर फोन कर कहा कि स्वजन से 2003 की मतदाता सूची में दर्ज जानकारी मांगी।
यह मामला एक उदाहरण है। जबकि एसआइआर के शुरू होने के बाद से ऐसे कई मामले सामने आए हैं। इसी तरह जिले की अन्य तहसील क्षेत्रों और खासकर मुस्लिम आबादी क्षेत्र में प्रेम विवाह कर आई युवतियां भी अपनों से संपर्क कर रही हैं। वह 2003 की मतदाता सूची में उनका क्रमांक, भाग संख्या आदि मांग रही हैं।
इसी तरह दूसरे जिले और राज्यों से यहां आ गईं युवतियां भी अपनों से संपर्क साध रहीं हैं। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए परेशान न हों, आनलाइन मतदाता सूची पड़ी है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर आसानी से क्रमांक संख्या आदि देख सकते हैं।
सुलेखा से रिहाना बनी, दस साल बाद की मां से बात
बुलंदशहर की रहने वाली सुलेखा करीब दस साल पहले बिसौली क्षेत्र के संग्रामपुर के रहने वाले नवाब हसन के साथ आ गई थी। उसने यहां आकर मुस्लिम रीति रिवाज से शादी कर ली और सुलेखा से रिहाना बन गई। अब दो बच्चे भी हैं। इस दौरान उसकी कभी अपने स्वजन से बात नहीं हुई थी।
पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान भी किया था। इस बार जब एसआइआर प्रक्रिया शुरू हुई तो जो गणना प्रपत्र उनके घर पहुंचे उसमें उन्हें अपने स्वजन की एपिक आइडी यानि 2003 की सूची में शामिल नाम और उसका क्रमांक संख्या भरना था। लेकिन सुलेखा उर्फ रिहाना का तो यहां कोई रिकार्ड नहीं था।
उसे अपने मायके के गांव के अलाव बूथ नंबर आदि कुछ पता नहीं था। लिहाजा उन्होंने अपने स्वजन से संपर्क किया। मां से बात हुई, दस साल बाद बेटी की आवाज सुनकर मां ने रुंधे हुए गले से हालचाल जाना। इसके बाद उसने बात करने का कारण बताया।
एसआइआर शुरू होने के बाद सामने आए प्रेम प्रसंग के मामले
ब्लाक आसफपुर क्षेत्र की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत लक्ष्मीपुर में मतदाताओ की पड़ताल शुरू होते ही प्रेम प्रसंग के आधार पर हुई शादियों के मामले सामने आने लगे। ग्राम पंचायत में 70 प्रतिशत मुस्लिम और 30 प्रतिशत हिंदू आबादी निवास करती है। यहां के कई युवकों ने दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, बंगाल, बिहार और उड़ीसा से विभिन्न समुदाय, संप्रदायों की युवतियों से प्रेम विवाह कर लिया था। इनमें से कई युवतियों के नाम बदलकर वोट बनवा लिए गए थे।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बड़ी संख्या में हिंदू संप्रदाय की युवतियों ने गांव के मुस्लिम युवकों से प्रेम विवाह किया है और बिना किसी वैध दस्तावेज के उनका नाम मतदाता सूची में जुड़ गया। अब एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने के बाद पैतृक परिवार, पता, मूल निवास और पहचान से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत करना इन प्रेमी जोड़ों के लिए चुनौती बन गया है। इसके चलते ही वह अपने स्वजन से संपर्क कर रहीं हैं।
वेबसाइट पर मिलेगी 2003 की सूची
अगर कोई अपने परिवार से दूर है और उसे 2003 की मतदाता सूची देखनी है तो वह चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर इसे देख सकता है। इसके लिए उसे अपना जिला, विधानसभा और गांव का नाम भरना होगा। इसके बाद मतदाता सूची सामने आ जाएगी, उससे जानकारी लेकर गणना प्रपत्र में इसे भरा जा सकता है।
अगर किसी कारण से जानकारी नहीं मिल रही है तो चार दिसंबर के बाद नए मतदाता बनाए जाएंगे। उसमें भी आवेदन कर सकते हैं। लेकिन एसआइआर फार्म भरना अनिवार्य है। अगर स्वजन की जानकारी नहीं मिल रही है तो तीसरा विकल्प भर सकते हैं। जिससे की आगे की प्रक्रिया में संबंधित को शामिल किया जा सके।
प्रेम विवाह आदि से जुड़े मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन इसमें कोई समस्या नहीं है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सारा डेटा उपलब्ध है। उससे अपने स्वजन का एपिक आइडी देखी जा सकती है। अगर वह नहीं भी मिल रही है तो एसआइआर गणना प्रपत्र का तीसरा विकल्प चुन सकते हैं। जिससे की चार दिसंबर के बाद जो प्रक्रिया शुरू होगी, उसमें प्रतिभाग कर सकें।
- मोहित कुमार, एसडीएम/मास्टर ट्रेनर एसआइआर
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