डायबिटीज की जल्द पहचान और उपचार के असरदार उपाय, पहचानें प्रमुख लक्षण और शुरुआती संकेत
डायबिटीज की जल्द पहचान और उपचार से शरीर के कई अंगों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव रोके जा सकते हैं। विश्व डायबिटीज दिवस पर चिकित्सकों ने बताया कि वंशानुगत कारकों के साथ अनियमित दिनचर्या और गलत खानपान से बढ़ रही है बीमारी। जानिए बचाव के उपाय।
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प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, बरेली। डायबिटीज के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसमें वंशानुगत के साथ गलत खानपान काफी हद तक जिम्मेदार है। असंतुलित जीवनशैली और बिगड़ती खानपान की आदतों की वजह से युवा और बच्चे भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। यह खतरनाक रोग धीरे धीरे शरीर को खोखला कर देता है। ब्लड में शुगर की अधिक मात्रा किडनी, आंखों, पैर की नसों को सर्वाधिक प्रभावित करती है। दिल पर भी इसका असर होता है, जो जो हार्ट अटैक के साथ ब्रेन स्ट्रोक की संभावना को भी बढ़ा देता है। इसलिए शुगर की जल्द से जल्द जांच और उस पर नियंत्रण पाना बेहद जरूरी है, नहीं तो जब बीमारी बढ़ जाती है तो इसे जल्द रोक पाना संभव नहीं हो पाता।
शुगर बढ़ने से किडनी पर पड़ता खराब असर
अगर आप हर समय थकान महसूस करते हैं। आपको बार-बार पेशाब करने जाना पड़ता है। प्यास ज्यादा लगती है। सिरदर्द बना रहता है। आंखों की रोशनी कम हो रही है। चिड़चिड़ापन रहता है। या मौसम बदलने पर आप ज्यादातर बीमार हो जाते हैं। तो इन लक्षणों की अनदेखी न करें। यह शरीर में ब्लड शुगर बढ़ने की वजह भी हो सकते हैं। जिसे आम भाषा में डायबिटीज कहते हैं।
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ब्लड शुगर बढ़ने पर किडनी रक्त से अतिरिक्त शुगर फिल्टर नहीं कर पाती, इससे बार-बार पेशाब जाना पड़ता है। शुगर का स्तर बढ़ने से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। साधारण से लगने वाले इन लक्षणों की अनदेखी शरीर के अंगों पर प्रभाव डालकर गंभीर बीमारियों में बदल सकती है।
- डा. स्मिता गुप्ता, प्रमुख प्रोफेसर, एसआरएमएस मेडिकल कालेज
शुगर की अनदेखी से घेर लेतीं जटिल बीमारियां
इस समय डायबिटीज के रोगी काफी बढ़ रहे हैं। इसका प्रमुख कारण ये है कि हमने अपनी जीवनशैली को काफी विलासितापूर्ण बना ली है। इसके अलावा मोटापा और फास्टफूड भी शुगर रोगियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी कर रहे हैं। यह बेहद खतरनाक है। इसलिए इस बीमारी पर जल्द से जल्द नियंत्रण पाना बेहद जरूरी है।
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अगर इस बीमारी को समय रहते काबू में कर लिया गया तो शरीर के अंगों पर पड़ने वाले इसके दुष्प्रभावों को रोका जा सकता है, लेकिन मरीज अक्सर इसकी नियमित जांच नहीं कराते। इसका नतीजा है कि बाद में शुगर से काफी भयंकर बीमारियां हमारे शरीर में दाखिल हो जाती हैं। इसके बाद इसका इलाज काफी जटिल हो जाता है।
- डा. सुदीप सरन, वरिष्ठ फिजीशियन
इंसुलिन की कमी से बढ़ता ब्लड शुगर
इंसुलिन कम होने से ब्लड में शुगर जमा होने लगती है और डायबिटीज रोगी को बार-बार पेशाब जाना पड़ता है। ऐसे में सभी लोगों को समय-समय पर ग्लूकोज की जांच जरूर करानी चाहिए। क्योंकि इससे पता चलता है कि उन्हें शुगर नियंत्रित है या नहीं। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह बेहद जरूरी है। डायबिटीज का किडनी पर काफी असर पड़ता है। नियमित जांच से रोगी को किडनी की समस्या से दूर रखना संभव है।
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ब्लड में शुगर की खराब मात्रा कोलेस्ट्राल का स्तर असंतुलित करती है। यहीं से हार्ट संबंधी दिक्कतें शुरू होती हैं। डायबिटीज रोगियों में हाई ब्लड प्रेशर होने से हृदय रोग, हृदयाघात, किडनी व आंखों की समस्या भी हो सकती है। लंबे समय तक ब्लड में ग्लूकोज का स्तर ज्यादा रहने का असर आंखों के रेटिना पर भी होता है। रेटिना का समय पर इलाज न होना आंखों की रोशनी भी छीन सकता है।
-डा. राहुल बाजपेयी, फिजीशियन, जिला अस्पताल
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