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    यूपी में जघन्य अपराधों में क्राइम सीन होगा तत्काल सुरक्षित, वीडियोग्राफी निभाएगी महत्वपूर्ण भूमिका

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 10:44 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश में जघन्य अपराधों के मामलों में क्राइम सीन को सुरक्षित रखने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। घटनास्थल की तत्काल सुरक्षा और वीडियोग्राफी सुनिश्चित की जाएगी। नए नियमों में अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय की गई हैं, जिससे साक्ष्यों के नष्ट होने की संभावना कम होगी और अभियोजन पक्ष को मजबूत आधार मिलेगा।

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    जागरण संवाददाता, बस्ती। जघन्य अपराधों, विशेषकर हत्या, बलात्कार दुष्कर्म और पाक्सो जैसे गंभीर मामलों में अब फोरेंसिक साक्ष्य को जुटाने की प्रक्रिया और भी सख्त और वैज्ञानिक आधार पर होगी। क्राइम सीन मैनेजमेंट और साक्ष्य संकलन के लिए क्राइम सीन मैनेजमेंट और संकलन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया पुलिस मुख्यालय से जारी की गई है, जिसमें घटनास्थल को तत्काल सुरक्षित करने के निर्देश दिए गए हैं।

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    यह पहल भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 की धारा 176(3) के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। नए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के तहत, उन सभी अपराधों को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है जिनमें सात वर्ष या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है।

    एसओपी के तहत ये होंगे सख्त नियम

    नए एसओपी के तहत, उन सभी अपराधों को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है जिनमें सात वर्ष या उससे अधिक की सज़ा का प्रावधान है। संगीन अपराध होने पर तत्काल क्राइम सीन सुरक्षित करना होगा। एफआईआर दर्ज होते ही थाना प्रभारी या सक्षम अधिकारी की यह जिम्मेदारी होगी कि वे तत्काल प्रभाव से अपराध स्थल को सुरक्षित करें। घटना स्थल पर किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति का प्रवेश पूर्णतः प्रतिबंधित होगा। गंभीर अपराधों में मुकदमा दर्ज होने के बाद फोरेंसिक विशेषज्ञ का घटनास्थल पर जाकर निरीक्षण करना होगा। साक्ष्य संकलन करना अनिवार्य होगा।

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    एसओ की होगी फील्ड यूनिट बुलाने की जिम्मेदारी
    थाना प्रभारी अविलंब फोरेंसिक फील्ड यूनिट को सूचित करेंगे। साक्ष्य संकलन की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराना सुनिश्चित किया जाएगा ताकि पारदर्शिता बनी रहे। पुलिसकर्मी अब घटनास्थल पर दस्ताने, मास्क और शूकैप (जूता कवर) पहनकर ही प्रवेश करेंगे, ताकि साक्ष्यों से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न हो। घटनास्थल पर प्रवेश और निकासी के लिए केवल एक ही मार्ग बनाया जाएगा। एसओपी के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

    इसका मुख्य उद्देश्य न्याय प्रक्रिया को तकनीकी, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना है, ताकि साक्ष्यों के अभाव में अपराधी बरी न हो सकें और पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके।

    नए दिशा-निर्देशों में जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से तय कर दी गई हैं, जिससे साक्ष्य नष्ट होने या दूषित होने की संभावना कम होगी और अभियोजन पक्ष को मजबूत आधार मिलेगा।

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    : स्वर्णिमा सिंह, सीओ रुधौली, नोडल अफसर मिशन शक्ति, बस्ती