बाघों की दुनिया का सच आएगा सामने, वन विभाग करने जा रहा खास पहल... डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम बना रही योजना
वन विभाग बाघों की दुनिया का सच सामने लाने के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के साथ मिलकर एक विशेष योजना बना रहा है। इस पहल में बाघों के संरक्षण, आबादी की निगरान ...और पढ़ें

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम क्षेत्रों में ट्रैप कैमरे लगाएगी, इसके बाद पता चलेगा कि इन वनों में कितने बाघ हैं। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, बिजनौर। अमानगढ़ टाइगर रिजर्व की तरह अब साहनपुर, कौड़या सहित पांच वन रेंज की बाघों की दुनिया भी सामने आने वाली है। आरक्षित वन क्षेत्र नजीबाबाद की सभी पांच रेंज में पहली बार बाघों की गणना होने जा रही है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम इन क्षेत्रों में भी ट्रैप कैमरे लगाएगी। इसके बाद पता चलेगा कि इन वनों में कितने बाघ हैं। इसके अलावा अन्य वन्यजीवों की भी जानकारी मिलेगी।
अमानगढ़ टाइगर रिजर्व पर्यटन खुलने के बाद से विश्व भर में जाना जा रहा है। जिले में पर्यटकों के लिए इसे तीन वर्ष पहले खोला जा चुका है। अमानगढ़ कार्बेट टाइगर रिजर्व से जुड़ा है। अमानगढ़ की तरह ही जिले में पांच और वन क्षेत्र साहनपुर, राजगढ़, कौड़िया, बढ़ापुर और साहूवाला भी हैं। ये भी शिवालिक पर्वत श्रृंखला का हिस्सा हैं। हालांकि ये बाघ आरक्षित क्षेत्र नहीं हैं लेकिन इनमें बाघ काफी समय से दिखाई दे रहे हैं।
बाघ के साथ ही धारीदार फर वाले लकड़बग्घे व अन्य वन्यजीव की भी यहां बहुतायत है। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फाउंडेशन द्वारा हर वर्ष अमानगढ़ में ट्रैप कैमरे लगाकर बाघों की गणना की जाती है। ट्रैप कैमरों में आए फोटो के आधार पर विशेषज्ञों की टीम बाघों की गणना करती है। अबकी बार पहली बार नजीबाबाद आरक्षित वन क्षेत्र की सभी पांच रेंज में भी बाघों की गणना करने के लिए ट्रैप कैमरे लगाए जाएंगे। अखिल भारतीय बाघ गणना में इन रेंज के बाघों को भी शामिल किया जाएगा। नजीबाबाद आरक्षित वन क्षेत्र की पांच वन क्षेत्र में लगभग 33 हजार हेक्टेयर वन भूमि है।
वन रेंज क्षेत्रफल
साहनपुर 8,100
राजगढ़ 5,600
कौड़िया 6,800
बढ़ापुर 6,700
साहूवाला 5,700
नोट: क्षेत्रफल हेक्टेयर में है।
हाथी व गुलदार से भरा है वन क्षेत्र
वैसे तो नजीबाबाद आरक्षित वन क्षेत्र में बाघ हैं लेकिन इनके बारे में आधिकारिक जानकारी नहीं उपलब्ध है। इसके अलावा यहां पर 103 हाथी, 157 गुलदार, लगभग एक हजार चीतल और 180 सांभर हैं। इसके अलावा अन्य वन्यजीव भी हैं।
वन में ऐसे लगाए जाएंगे ट्रैप कैमरे
बाघों की गणना के लिए ट्रैप कैमरे लगाने से पहले बाघों के आने जाने वाले स्थल को देखा जाएगा। वन्यजीवों के चलने से बनी पगडंडियों के पास ट्रैप कैमरे लगाए जाते हैं। ट्रैप कैमरों में आए बाघों के शरीर के आकार, धारी आदि के आधार पर गणना की जाती है।
बाघों की सही स्थिति सामने आएगी
इस वर्ष नजीबाबाद आरक्षित वन क्षेत्र को भी बाघों की गणना के लिए चुना गया है। अमानगढ़ की तर्ज पर यहां पर भी बाघों की गणना की जाएगी। इससे बाघों की सही स्थिति सामने आएगी।
अभिनव राज, प्रभागीय वनाधिकारी- नजीबाबाद वन प्रभाग

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