गाजियाबाद में सांसों पर गहराता संकट, छह साल में सिर्फ 67 दिन मिली साफ हवा ; सामने आए डराने वाले आंकड़े
गाजियाबाद में प्रदूषण नियंत्रण के दावों के बावजूद स्थिति गंभीर बनी हुई है। पिछले छह वर्षों में केवल 67 दिन ही साफ हवा मिली है। 2020-21 में स्थिति सबसे खराब थी। ग्रेप के नियमों का उल्लंघन हो रहा है, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

गाजियाबाद में गहराता प्रदूषण का संकट। जागरण
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। प्रदूषण रोकथाम के हर वर्ष दावे किए जाते हैं। इसके लिए कागजों में तमाम योजनाएं भी बनाई जाती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका कोई असर दिखाई नहीं देता। यही कारण है कि गाजियाबाद में बीते करीब छह वर्ष में 67 दिन ही साफ हवा मिल सकी।
बाकी दिन लोगों को संतोषजनक, मध्यम, खराब, बेहद खराब व गंभीर हवा में ही रहना पड़ा है। इस वर्ष भी अभी तक महज सात दिन ही साफ हवा मिल सकी है। वर्ष 2020 से अभी तक 54 दिन गंभीर हवा में रहना पड़ा है। इस हवा में सामान्य व्यक्ति को भी सांस लेने में दिक्कत व आंखों में जलन होती है।
2020-21 में रहा सबसे खराब हाल
बीते पांच वर्ष की तुलना करें तो वर्ष 2020 व 2021 में हवा सबसे ज्यादा दिन गंभीर श्रेणी में रही है। वर्ष 2020 में 24 दिन तो वर्ष 2021 में 22 दिन हवा गंभीर श्रेणी में रही। गंभीर श्रेणी की हवा मनुष्य के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होती है। इस श्रेणी की हवा में सांस व दमा के मरीजों को सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है।
ग्रेप के नियमों का नहीं हो रहा पालन
ग्रेप के दूसरे चरण के नियम लागू हैं। इसके अंतर्गत धूल उड़ने से रोकना, कोयला जलाने पर रोक, निर्माण गतिविधि खुले पर डालना आदि पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके बाद भी खुले में जगह-जगह निर्माण सामग्री डालकर प्रदूषण फैलाया जा रहा है। सड़कों पर धूल उड़ रही है। संबंधित विभागों की लापरवाही से लोगों को खराब हवा में रहना पड़ रहा है।
लोगों को सांस लेने में बढ़ी दिक्कत
प्रदूषण बढ़ने पर विभिन्न बीमारियों के मरीज भी बढ़ जाते हैं। बीमार चल रहे लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी है। अस्थमा व दिल के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। आंखों में जलन की समस्या भी बढ़ने लगी है।
वर्ष 2020 के बाद से अभी तक कितने दिन किस श्रेणी में रही हवा
| श्रेणी | कुल दिन |
|---|---|
| साफ | 67 |
| संतोषजनक | 395 |
| मध्यम | 779 |
| खराब | 521 |
| बेहद खराब | 314 |
| गंभीर | 58 |
| कुल | 2134 |
जिले में वर्ष वार कितने दिन किस श्रेणी में रहा एक्यूआइ
| वर्ष | साफ | संतोषजनक | मध्यम | खराब | बेहद खराब | गंभीर |
|---|---|---|---|---|---|---|
| 2020 | 13 | 69 | 122 | 74 | 64 | 24 |
| 2021 | 10 | 58 | 100 | 87 | 88 | 22 |
| 2022 | 12 | 54 | 102 | 132 | 63 | 02 |
| 2023 | 10 | 64 | 159 | 86 | 42 | 03 |
| 2024 | 15 | 60 | 162 | 85 | 41 | 03 |
| 2025* | 06 | 90 | 134 | 57 | 16 | 00 |
| कुल | 66 | 395 | 779 | 521 | 314 | 54 |
*नोट: वर्ष 2025 का आंकड़ा 31 अक्टूबर 2025 तक का है।
एक्यूआइ के आधार पर हवा की श्रेणी
| AQI | श्रेणी |
|---|---|
| 0 से 50 | अच्छी |
| 51 से 100 | संतोषजनक |
| 101 से 200 | मध्यम |
| 201 से 300 | खराब |
| 301 से 400 | बेहद खराब |
| 401 से ऊपर | गंभीर |
प्रदूषण रोकथाम के लिए संबंधित विभागों के साथ समन्वय कर कार्य किया जा रहा है। पर्यावरण फैलाने वालों पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में जुर्माना लगाया जा रहा है।
अंकित सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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