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नोएडा के इंटरनेशनल ट्रेड शो में महकेगी पूरब की माटी, टेराकोटा, केला फाइबर और कालानमक चावल के होंगे स्टॉल

पूर्वी उत्तर प्रदेश के उत्पाद नोएडा में होने वाले यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में अपनी छाप छोड़ेंगे। गोरखपुर के टेराकोटा कुशीनगर के केले के रेशे और सिद्धार्थनगर के कालानमक चावल के स्टॉल लगेंगे। ओडीओपी योजना के तहत इन उत्पादों को बढ़ावा मिल रहा है। 25 उद्यमियों और शिल्पकारों को अपने उत्पाद प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा। टेराकोटा उत्पादों की वैश्विक बाजार में मांग बढ़ने की उम्मीद है।

By Umesh Pathak Edited By: Vivek Shukla Updated: Tue, 24 Sep 2024 03:51 PM (IST)
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गोरखपुर की मिट्टी से बने टेराकोटा उत्पाद। जागरण

उमेश पाठक, जागरण गोरखपुर। नोएडा में 25 से 29 सितंबर तक आयोजित होने वाले यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो (आइटीएस) में पूर्वी उत्तर प्रदेश की माटी वैश्विक स्तर पर अपनी महक बिखेरगी। यहां गोरखपुर की मिट्टी से बने टेराकोटा उत्पाद, कुशीनगर की मिट्टी में उपजे केले के रेशे के सजावटी उत्पाद और सिद्धार्थनगर के कालानमक चावल के स्टाल लगाए जाएंगे।

पूरब की मिट्टी से पोषित ये वे उत्पाद हैं जिन्हें एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल कर योगी सरकार ने संजीवनी दी है। अब इन उत्पादों को एक और मंच मिलने जा रहा है।

गोरखपुर मंडल के चार जिलों से कुल 25 उद्यमियों और शिल्पकारों को ट्रेड शो में अपने उत्पाद देश और दुनिया के आगंतुकों व खरीदारों के समक्ष प्रदर्शित करने का अवसर मिला है। इनमें गोरखपुर से 13, देवरिया से तीन, कुशीनगर से चार और महराजगंज से पांच उद्यमियों, हुनरमंदों को स्टाल आवंटित किए गए हैं।

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गोरखपुर से पांच प्रतिभागी ओडीओपी के हैं। इनमें भी चार टेराकोटा शिल्प से जुड़े हुए हैं। मिट्टी से बने टेराकोटा शिल्प के उत्पाद ओडीओपी में शामिल किए जाने और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा विभिन्न मंचों से की गई ब्रांडिंग से देश के अन्य राज्यों में भी काफी लोकप्रिय हो चुके हैं।

अब लागतार दूसरी बार इंटरनेशनल ट्रेड शो में प्लेटफार्म मिलने से टेराकोटा उत्पादों की वैश्विक बाजार में भी मांग बढ़ने की पूरी उम्मीद है। जबकि 2017 के पहले सरकारी प्रोत्साहन के अभाव में यह शिल्प दम तोड़ने के कगार पर था।

कुशीनगर के ओडीओपी में शामिल केले के रेशे (बनाना फाइबर) से बन रहे उत्पाद भी देश और दुनिया को आकर्षित करने को बेताब हैं। इससे कई तरह के उत्पाद बनाने का उद्यम शुरू करने वाले कुशीनगर जिले के हरिहरपुर निवासी रवि प्रसाद के हुनर को भी अंतरराष्ट्रीय मंच मिलने जा रहा है।

केले के जिस तने को कचरा समझकर फेंक दिया जाता है, रवि ने उससे रेशा निकालने और रेशे से बैग, डोर मैट, कारपेट, फ्लावर पाट, टोपी और सजावटी सामान बनाना शुरू किया है। इसमें 400 से अधिक महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ा गया हे। रवि बताते हैं कि ओडीओपी में शामिल होने के बाद वेस्ट से वेल्थ बनाने की परिकल्पना साकार हुई है।

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पूरब की माटी की खुशबू की बात कालानमक चावल के बिना अधूरी है। आइटीएस में कालानमक चावल की खेती या कारोबार से जुड़े लोगों को भी मंच उपलब्ध कराया गया है। सिद्धार्थनगर के अलावा महराजगंज और कुशीनगर जिले से भी कालानमक चावल के स्टाल लगाए जाएंगे।

इसके लिए महराजगंज के तराई बुद्धा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की तरफ से सुमन गुप्ता और कुशीनगर से प्राविधान फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की तरफ से नागेंद्र साहनी का चयन किया गया है। गौरतलब है कि स्वाद और खुशबू के लिहाज से कालानमक चावल बेजोड़ माना जाता है। ओडीओपी में शामिल किए जाने के बाद कई देशों को यह निर्यात भी हो रहा है।