हापुड़ में व्यवस्था धड़ाम, साहब! कूड़ा उठवाएं तो यह बताओ डालने कहां जाएं
हापुड़ में डंपिंग ग्राउंड भर जाने से कचरा उठाने का काम ठप हो गया है, जिससे शहर में कचरे की समस्या बढ़ गई है। नगर पालिका के 41 वार्डों से निकलने वाला कचरा डंपिंग ग्राउंड में डाला जाता है, जो अब पूरी तरह भर चुका है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का निर्माण अधूरा होने और एमआरएफ सेंटरों की कम क्षमता के कारण कचरा निस्तारण में दिक्कत आ रही है।
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जागरण संवाददाता, हापुड़। हापुड़ में नगर पालिका क्षेत्र के घरों व प्रतिष्ठानों से निकलने वाले कूड़े का निस्तारण न हो पाने के कारण अब डंपिंग ग्राउंड फुल हो चुका है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब उसमें कूड़ा डालने के लिए स्थान ही नहीं बच सका है। ऐसे में मंगलवार को शहर में कूड़े का उठान नहीं हो सका। डोर-टू-डोर कूड़े का भी उठाव नहीं हो सका। ऐसे में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
वहीं, दूसरी ओर डंपिंग ग्राउंड एक सप्ताह पहले ही फुल हो गया था, इसके बाद भी अब तक कूड़े का निस्तारण नहीं हो सका है। दैनिक जागरण ने इस समस्या को प्रमुखता से उठाया भी, लेकिन जिम्मेदारों की तंद्रा नहीं टूटी।
नगर पालिका क्षेत्र में कुल 41 वार्ड हैं। इन वार्डों के गली मोहल्लों से प्रतिदिन नगर पालिका कर्मचारियों द्वारा डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन किया जाता है। यह कूड़ा गाड़ियों के माध्यम से रामपुर रोड में चार जोन में बांटे गए डंपिंग ग्राउंड में ले जाकर वहां डाल दिया जाता है।
वर्तमान में स्थिति यह है कि वहां पर इतना कूड़ा एकत्र हो गया है कि और अधिक कूड़ा डालने का स्थान नहीं बचा हुआ है। वह इस प्रकार भर चुका है कि अब एक दिन का भी उसमें कूड़ा नहीं डाला जा सकता है।
कूड़े का सही प्रकार से निस्तारण न होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। कूड़े का निस्तारण कराने के लिए रामपुर रोड पर ही सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का निर्माण कराया जाना था। नगर पालिका के अधिकारियों ने प्लांट के लिए करीब 12 हजार मीटर भूमि उपलब्ध कराकर चारदीवारी का कार्य प्रारंभ करा दिया था।
शासन ने भी दस करोड़ में से छह करोड़ की धनराशि करीब सात वर्ष पहले जारी कर दी थी लेकिन, जब ड्राइंग तैयार की गई तो जमीन ही अपर्याप्त निकली। जिसके कारण कूड़े का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। वहीं शहर में बनाए गए एमआरएफ सेंटरों पर ताले लटके हुए हैं। ऐसे में और अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
तीन बने हुए हैं एमआरएफ सेंटर
नगर पालिका क्षेत्र में प्रतिदिन औसतन 106 टन कूड़ा निकलता है। इस कूड़े में से 40 टन कूड़ा सूखा होता है। सूखे कूड़े को ही पिछले कई वर्षों से रामपुर रोड स्थित डंपिंग ग्राउंड में डलवाया जाता है। हालांकि कूड़े के निस्तारण के लिए तीन एमआरएफ (मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी) सेंटर चल रहे हैं। इनमें से दो सेंटर रामपुर रोड और एक सेंटर सिंकदर गेट पर संचालित है। प्रत्येक एमआरएफ सेंटर की प्रतिदिन छह टन कूड़ा निस्तारण करने की क्षमता है, यानि तीनों मिलाकर प्रतिदिन 18 टन कूड़े का ही निस्तारण कर पाते हैं।
अधिकारियों की अदूरदर्शता से बढ़ी समस्या
शहर में कूड़ा उठान नहीं हो रहा है और जिम्मेदार आराम फरमा रहे हैं। उनको मानों कोई चिंता ही नहीं है। डंपिंग ग्राउंड फुल होने और कूड़ा उठान में समस्या होने की जानकारी अधिकारियों को एक महीने पहले से थी। किसी ने इस बारे में सोचने की जहमत नहीं उठाई।
वहीं, शहर में कूड़ा निस्तारण केंद्र बनाने का प्रस्ताव पांच साल से अधर में लटका है। जहां पर कूड़े से बिजली और खाद बनाने की व्यवस्था की जानी थी। अधिकारी पांच साल में जमीन ही तलाश नहीं कर पाएं हैं। अब कूड़े का उठान नहीं होने से शहर में महामारी फैलने के हालात हो रहे हैं, वहीं पालिका के जिम्मेदार अभी भी जल्द समाधान तलाशने का रटा-रटाया उत्तर दे देकर लापरवाही का परिचय दे रहे हैं।
कूड़े का निस्तारण कराने के लिए लगातार अधिकारियों के साथ वार्ता की जा रही है। जल्द ही इसका निस्तारण हो जाएगा। इसमें किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जाएगी। - संदीप कुमार, एडीएम

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