बीजेपी प्रत्याशी सुरेश अवस्थी 12853 सपा आगे 28,315कुल वोट की गिनती...47819इस सीट पर मतदान के दौरान नौ सीटों में से इसी सीट पर सबसे अधिक बवाल हुआ। भाजपा और सपा के लिए यह सीट नाक का सवाल बनी हुई है। इस सीट पर कौन जीत दर्ज करेगा इसको लेकर मतदाताओं में काफी उत्साह है।फिलहाल सीसामऊ पर सपा-भाजपा में सीधा मुकाबला नजर आ रहा है।
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कब और कितनी हुई वोटिंग
सीसामऊ विधानसभा सीट (Sisamau Election Result) पर 209 नवंबर को मतदान हुआ। इस सीट पर कुल दो लाख 71 हजार मतदाता हैं। जिसमें करबी एक लाख मुस्लिम मतदाता, 60-60 हजार ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। वहीं उपचुनाव में 49.1 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया। जबकि 2022 विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर 57.17 प्रतिशत मतदान हुआ था।
वर्तमान सीसामऊ के प्रमुख मोहल्ले
रायपुरवा, गांधीनगर, भन्नानपुरवा, कौशलपुर, जवाहरनगर, सीसामऊ उत्तरी, सीसामऊ दक्षिणी, मैकरावर्टगंज, बेकनगंज, चमनगंज, चुन्नीगंज, सूटरगंज, कर्नलगंज और ग्वालटोली।
कौन प्रत्याशी हैं मैदान में (Sisamau Assembly Candidate List)
सीसामऊ सीट पर समाजवादी पार्टी ने पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी (Naseem Solanki) पर भरोसा जताया है। जबकि भारतीय जनता पार्टी ने सुरेश अवस्थी (Suresh Awasthi) को मैदान में उतारा। वहीं बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी वीरेंद्र शुक्ला पर दांव लगाया है।
सीसामऊ विधानसभा सीट का इतिहास
सपा नेता व पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को पिछले दिनों एक प्लाट पर आगजनी और कब्जे की कोशिश में सात साल की सजा हुई थी। इरफान के सजायाफ्ता होने की वजह से यह सीट रिक्त हो गई थी। भले ही सीसामऊ क्षेत्र बेहद पुराना है, लेकिन इस नाम से सीट का गठन 1974 में हुआ, तब यह सीट सुरक्षित थी।2012 में जब परिसीमन हुआ तब यह सामान्य हुई। पहली बार यहां से कांग्रेस के शिवलाल जीते थे, लेकिन 1977 के चुनाव में जनता पार्टी यहां से जीत गई थी। हालांकि जनता पार्टी से यह सीट 1980 के चुनाव में कांग्रेस की कमला दरियावादी ने छीन ली थी। कमला यहां से दो बार जीतीं, लेकिन 1989 के चुनाव में जनता दल की लहर में यह सीट कांग्रेस को गंवानी पड़ी थी।
लगातार तीन बार भाजपा को मिली जीत
सन 1991 की राम मंदिर आंदोलन की लहर में यहां भाजपा का कमल खिला। राकेश सोनकर विधायक बने और लगातार तीन बार जीते। 1993 में जब सपा और बसपा का गठबंधन हुआ तब भी भाजपा की जीत हुई। तमाम कोशिशों के बाद भी भाजपा से यह सीट विरोधी नहीं छीन सके, लेकिन 2002 में भाजपा ने राकेश सोनकर का टिकट काट दिया था। केसी सोनकर भाजपा से मैदान में उतरे मगर, हार का सामना करना पड़ा। फिर भाजपा इस सीट पर कभी नहीं जीती।
कांग्रेस के खाते में 2002 में कांग्रेस के संजीव दरियावादी विधायक बने। 2007 में भी वे जीते। 2012 में परिसीमन बदला और यह सीट सामान्य हुई तो कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी हो गई। यहां से सपा के हाजी इरफान सोलंकी पहली बार जीते और फिर 2017 में भी उन्हें जीत मिली।
कौन कब जीता
1974 : कांग्रेस के शिवलाल1977 : जनता पार्टी के मोती राम1980 : कांग्रेस की कमला दरियावादी
1985 : कांग्रेस की कमला दरियावादी1989 : जनता दल के शिव कुमार बेरिया1991 : भाजपा के राकेश सोनकर1993 : भाजपा के राकेश सोनकर1996 : भाजपा के राकेश सोनकर2002 : कांग्रेस के संजीव दरियावादी2007 : कांग्रेस के संजीव दरियावादी2012 : सपा के इरफान सोलंकी2017 : सपा के इरफान सोलंकी2022: सपा के इरफान सोलंकी
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