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UP ByPolls 2024: भाजपा ढहाएगी किला या बचेगी परिवार की विरासत, यूपी की इस हॉट सीट पर टिकी सबकी निगाहें

शनिवार को होने वाले सीसामऊ विधानसभा सीट के उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे कि भाजपा इस बार सोलंकी परिवार के किले को ढहा पाएगी या नहीं। 1996 के बाद से भाजपा इस सीट पर नहीं जीत पाई है। इस बार भी मुस्लिम-हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण और सेंधमारी पर सबकी नजर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तक ने प्रचार में पूरी ताकत झोंकी है।

By shiva awasthi Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sat, 23 Nov 2024 07:04 AM (IST)
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यूपी की इस हॉट सीट पर टिकी सबकी निगाहें
शिवा अवस्थी,  कानपुर। सीसामऊ विधानसभा सीट (Sisamau Assembly By Election) का सियासी किला भाजपा ढहाएगी या सोलंकी परिवार की विरासत बचेगी, ये शनिवार को तय हो जाएगा। हिंदू-मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण व सेंधमारी पर भाजपा, सपा समेत सियासी रणनीतिकारों की निगाह टिकी है।

1996 के बाद से भाजपा इस सीट पर दोबारा नहीं जीती है, जबकि सपा के हाजी इरफान सोलंकी पिछले तीन बार से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। इसमें उनके पिता स्वर्गीय हाजी मुश्ताक सोलंकी की बनाई जमीन का भी पूरा योगदान रहा। इसलिए हर कोई परिणाम के इंतजार में हैं।

उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तक ने प्रचार में पूरी ताकत झोंकी। हर पहलू पर दोनों दलों के सियासी रणनीतिकार अंतिम क्षण तक चक्रव्यूह रचते रहे। सीसामऊ विधानसभा सीट पर मिश्रित आबादी के मतदाता हैं। 92 बूथ मुस्लिम बहुल हैं, जबकि 183 पर हिंदू आबादी की अधिकता है।

2012 से सीसामऊ सीट पर सपा का कब्जा

2012 में हाजी इरफान सोलंकी इस सीट से सपा की टिकट पर चुनाव जीतने के बाद 2017 व 2022 में भी जीते। जाजमऊ में महिला की जमीन कब्जाने व आगजनी के मामले में सजा होने पर उनके जेल जाने के बाद यह सीट रिक्त हुई और उपचुनाव का बिगुल बजा।

भाजपा ने पहले भी इस सीट पर चुनाव लड़ चुके सुरेश अवस्थी पर विश्वास जताया। सपा ने इरफान की पत्नी नसीम सोलंकी व बसपा ने वीरेंद्र कुमार को उतारा। 38 दिन के पूरे चुनाव में मुख्यमंत्री योगी दो बार यहां आए। पहले जनसभा की, फिर रोड शो से माहौल बनाया।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ ही पार्टी के सियासी रणनीतिकार शिवपाल यादव व सांसद डिंपल यादव ने रोडमैप तैयार किया।

हर बार बढ़े सपा के वोट, कम मतदान से असमंजस

सीसामऊ सीट पर हर बार समाजवादी पार्टी ने वोट बढ़ाए हैं, लेकिन पहली बार सेंधमारी में कमी आने की चर्चा है। इस बार 12 साल के अंतराल में सबसे कम मतदान भी सपाई खेमे में असमंजस का कारण है। 2012 में सपा ने यहां 56,496, 2017 में 73,030 व 2022 में 79,163 मत पाए। इस बार मतदान 49.06 प्रतिशत होने से 23 हजार वोट कम पड़े। इसका असर परिणाम में दिख सकता है। इससे भाजपा-सपा में करीबी टक्कर मानी जा रही है।

भाजपा की नीतियां, प्रधानमंत्री मोदी व योगी की जनकल्याणकारी योजनाओं के कारण हर वर्ग के समर्थन से पार्टी प्रत्याशी की जीत तय है। लोग अब विपक्षियों के फैलाए भ्रम को समझ गए हैं। इसलिए उपचुनाव में भाजपा के साथ खड़े दिखे। -प्रकाश पाल, भाजपा कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष।

छावनी विधानसभा क्षेत्र से सपा विधायक, मो. हसन रूमी ने कहा- सपा के परंपरागत मत तो मिले हैं। पिछली बार की तरह ही दूसरे बूथों में भी पार्टी के पक्ष में मतदान हुआ है। हर वर्ग के मतदाता पार्टी के साथ हैं। मतगणना अभिकर्ताओं को डटे रहने की सीख दी गई है। परिणाम सपा के पक्ष में होगा।

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