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    भूखंड पर कब्जा नहीं दिया, यूपीएसआइडीसी को कटौती के 9.56 लाख रुपये लौटाने के आदेश

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 08:57 PM (IST)

    कानपुर उपभोक्ता आयोग ने यूपीएसआईडीसी को भूखंड पर कब्जा न देने पर कटौती किए गए 9.56 लाख रुपये लौटाने का आदेश दिया। डेढ़ माह में भुगतान न करने पर सात प्रतिशत ब्याज भी लगेगा। वादी उमेश चंद्र वाजपेयी ने 2020 में मुकदमा दायर किया था, जिसमें उन्होंने भूखंड के लिए 17.62 लाख रुपये का भुगतान किया था, लेकिन उन्हें कब्जा नहीं मिला। आयोग ने यूपीएसआईडीसी द्वारा सेवा में कमी पाई।

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    जागरण संवादादाता, कानपुर। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने फैसला सुनाया है कि यूपीएसआइडीसी भूखंड पर कब्जा न देने के कारण लौटाई गई राशि में की गई कटौती के नौ लाख 56 हजार 550 रुपये लौटाए।

    डेढ़ माह में अदायगी न करने पर निर्णय की तारीख से भुगतान की तारीख तक सात प्रतिशत ब्याज भी देना होगा। 15 हजार रुपये हर्जाना और पांच हजार रुपये मुकदमा खर्च भी देने का आदेश दिया है।

    हंसपुरम नौबस्ता निवासी उमेश चंद्र वाजपेयी ने 22 जनवरी 2020 को मुख्य कार्यपालक अधिकारी यूपीएसआइडीसी ट्रांसगंगा सिटी लखनपुर और वरिष्ठ परियोजना अधिकारी कार्यालय ट्रांसगंगा सिटी ग्राम व पोस्ट संकरपुर सराय उन्नाव के खिलाफ आयोग में मुकदमा दाखिल किया था।

    इसमें कहा था कि औद्योगिक परिक्षेत्र ट्रांसगंगा हाउसिंग उन्नाव में दो सौ वर्ग मीटर भूखंड खरीदने के लिए 31 अक्टूबर 2015 को आवेदन किया था। इस पर सात जून 2016 को भूखंड आवंटित किया गया। आवेदन के समय 3.62 लाख रुपये, इसके बाद एक जून 2016 को पांच लाख 20 हजार रुपये दिए। एक मई को सात लाख रुपये अदा किया गया।

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    उसने कुल 17.62 लाख रुपये अदा किया गया। दफ्तर के चक्कर पर चक्कर लगाने के बाद भी भूखंड पर कब्जा नहीं दिया गया। इस पर उसने अपने आवास की वैकल्पिक व्यवस्था कर ली। उसने 18 नवंबर 2018 को धनराशि वापसी की मांग।

    यूपीएसआइडीसी ने एक हिसाब बनाते हुए 16 दिसंबर 2019 को नौ लाख 56 हजार 550 रुपये की कटौती कर आठ लाख पांच हजार 450 रुपये वापस किया। उसे बाकी का पैसा वापस कराया जाए। विपक्षी को अपना पक्ष रखने के लिए कई अवसर दिए गए, लेकिन कोई पक्ष नहीं रखा और न ही हिसाब के बारे में कोई साक्ष्य पेश किया।

    इस कारण आयोग ने मुकदमे की सुनवाई एकपक्षीय शुरू की। आयोग अध्यक्ष विनोद कुमार और सदस्य नीलम ने वादी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि यूपीएसआइडीसी ने भूखंड उपलब्ध न कराके और पूरी बकाया राशि वापस न कर सेवा में कमी की है।