UP Upchunav Result: कुंदरकी-कटेहरी सीट भी सपा से छीनी, 'PDA' पर क्यों भारी पड़ा 'बंटेंगे तो कटेंगे' फॉर्मूला?
लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस का पीडीए (पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक) फॉर्मूला सफल रहा लेकिन विधानसभा उपचुनाव में सीएम योगी का बटेंगे तो कटेंगे नारा हावी हुआ। भाजपा ने मुरादाबाद की कुंदरकी और अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट सपा से छीन ली। सीएम योगी की रैलियों और छोटे नेताओं की बैठकें निर्णायक साबित हुईं। सपा के गढ़ करहल में भी भाजपा ने 43.33% वोट हासिल किए जो सपा को चुनौती देने वाला रहा।
शोभित श्रीवास्तव/राज्य ब्यूरो, लखनऊ। लोकसभा चुनाव में जिस ''पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की बदौलत सपा व कांग्रेस ने मिलकर ऐतिहासिक प्रदर्शन कर भाजपा को परेशान कर दिया था वह छह माह के अंदर ही बिखर गया। विधानसभा की नौ सीटों के उपचुनाव में ''पीडीए’ पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ''बटेंगे तो कटेंगे'' फार्मूला हिट रहा।
सरकार व संगठन के सामंजस्य का असर भी इस उपचुनाव में दिखाई दिया। एक-एक वोट की भाजपाई किलेबंदी का ही नतीजा है कि मुस्लिम बहुल सीट मुरादाबाद की कुंदरकी के साथ ही अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट भी भाजपा ने सपा से छीन ली है।
लोकसभा चुनाव में सपा ने ''पीडीए’ के जरिए जातीय समीकरणों की अपनी ''साइकिल'' खूब दौड़ाई थी। इस वर्ष चार जून को जब नतीजे आए तो इसी फाूर्मले की बदौलत सपा ने अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन कर सर्वाधिक 37 सीटाें के साथ ही 33.59 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे।
चुनाव के यह नतीजे भाजपा की परेशानी का सबब बने और उसने एक-एक वोट की किलेबंदी शुरू की। अखिलेश के ''पीडीए’ के जवाब में मुख्यमंत्री योगी ''बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे...'' लेकर आए। यह फार्मूला हिट रहा और लोकसभा चुनाव में 41.37 प्रतिशत वोट पालने वाली भाजपा को इस उपचुनाव में करीब 52 प्रतिशत वोट मिले हैं।
सीएम योगी की तैयारी
मुख्यमंत्री योगी ने इसकी तैयारी बहुत पहले से शुरू कर दी थी। उन्होंने प्रत्येक सीट पर तीन-तीन मंत्रियों को प्रभारी बनाया। उपचुनाव की जमीन याेगी खुद सींचने में लग गए। उपचुनाव की घोषणा से पहले ही सभी सीटों पर योगी कई-कई बार गए और उन्होंने विकास व संवाद से पार्टी के लिए जमीन तैयार की। उपचुनाव के प्रचार में भी योगी ने पांच दिनों में 15 चुनावी कार्यक्रम कर सभी क्षेत्रों को मथ दिया। इस दौरान उन्होंने 13 रैली व दो रोड शो कर माहौल भगवामय बना दिया।इसी का नतीजा है कि कटेहरी में 33 वर्ष बाद कमल खिला है। यहां पर इससे पहले 1991 में भाजपा चुनाव जीती थी। करीब 62 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाली कुंदरकी सीट पर भी 31 वर्ष बाद जीत कर भाजपा ने यह दिखा दिया कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।यहां पर 1993 के बाद भाजपा जीत का स्वाद चख सकी है। सरकार व संगठन के समन्वय का ही नतीजा है कि उपचुनाव में भाजपा ने सपा के गढ़ करहल में उसकी नींव हिला दी। यहां सपा को 50.45 प्रतिशत वोट मिला जबकि भाजपा भी 43.33 प्रतिशत वोट पाने में सफल रही। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से भाजपा को यहां 10 प्रतिशत अधिक वोट मिला है।
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