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    प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में एक और घपला, महोबा में सिपाही की पत्नी के खाते में आया फसल बीमा का भुगतान

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 06:33 PM (IST)

    प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में एक और घोटाला सामने आया है। जहां महोबा में एक सिपाही की पत्नी के खाते में फसल बीमा का भुगतान किया गया।  ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, महोबा। जिले में वन, नदियों, पहाड़ों सहित चकमार्ग की जमीन पर फर्जी तरीके से प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत करीब 40 करोड़ का चूना शासन को लगाया गया। अब इस मामले में किसान ने सदर कोतवाली में तैनात सिपाही पर उसकी जमीन का बीमा कराने और भुगतान पत्नी के खाते में पहुंचने का आरोप लगाया है। वहीं सिपाही का कहना है कि आरोप गलत है। उसने किसी जमीन का बीमा नहीं कराया।

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    थाना पनवाड़ी के ग्राम महुआ इटौरा निवासी अरविंद राजपूत ने बताया कि उसके पिता जगदीश के नाम गांव में कृषि भूमि है। जिस पर कोई भी फसल बीमा नहीं कराया गया। लेकिन इस भूमि का बीमा हो गया। आरोप है कि थाना पनवाड़ी और वर्तमान में शहर कोतवाली में तैनात सिपाही रोहितास उर्फ विनोद ने अपनी पत्नी शालिनी के नाम प्रधानमंत्री फसल बीमा करा लिया। जबकि संबंधी के कालम में राजकुमार निवासी मुस्करा हमीरपुर लिखा गया है। उसकी जमीन गाटा सं 612 में हुए बीमा का 18200 का भुगतान पत्नी के उरई स्थित स्टेट बैंक खाते में हो गया।

     

    अरविंद ने दोषी पर कार्रवाई के साथ ही बीमा का पैसा दिलाए जाने की मांग की है। उधर सिपाही विनोद ने बताया कि जमीन का बीमा उसने नहीं कराया है। पत्नी के संबंधी का नाम राजकुमार लिखा है जो मुस्करा का बताया जा रहा है। जबकि पत्नी जालौन की रहने वाली है। यदि गलती से पैसा आ गया है तो वह वापस कर देगा। आरोप पूरी तरह गलत है। एएसपी वंदना सिंह ने बताया कि उपकृषि निदेशक से कहा गया है कि ऐसे सभी मामलों की जांच कर रिपोर्ट पुलिस को दें। जांच के बाद जिनके नाम सामने आएंगे या जो दोषी होगा कार्रवाई की जाएगी।


    अब तक हुई कार्रवाई

    मामले में कुल छह मुकदमे दर्ज कराए गए है। 27 अगस्त को बीमा कंपनी इफको टोकियाे के जिला प्रबंधक निखिल सहित 26 नामजद व अन्य पर मुकदमा शहर कोतवाली में दर्ज हुआ था। चरखारी, कुलपहाड़, अजनर व थाना पनवाड़ी में भी पांच मुकदमे दर्ज है। 17 आरोपितों को जेल भेजा जा चुका है। कृषि विभाग के बीमा पटल सहायक अतुलेंद्र विक्रम को भी निलंबित किया जा चुका है। 24 अगस्त को न्यायालय ने पांच आरोपितों की जमानत भी खारिज कर दी थी। 27 अगस्त को मुकदमा दर्ज होने के बाद अब तक बीमा कंपनी के जिला प्रबंधक निखिल को गिरफ्तार नहीं किया जा सका। उपनिदेशक कृषि रामसजीवन ने बताया कि अभी जांच चल रही है।

     

    इस तरह किया गया फर्जीवाड़ा

    फसल बीमा में फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों ने कंपनी से सांठगांठ कर ऐसे गांवों को चुना, जहां चकबंदी प्रक्रिया चल रही है। बीमा करने के लिए पोर्टल (प्रधानमंत्री फसल बीमा पोर्टल) पर भू-स्वामी व बटाईदार अपना बीमा करा सकता है। चकबंदी प्रक्रिया वाले गांवों का डाटा प्रदर्शित नहीं होता, जिससे कोई भी 10 रुपये के स्टांप पर बटाईनामा बनवाकर जमीन पर बीमा करा सकता है। इसमें वह जो जानकारी भर देता है वह सही मानी जाती है। खाली स्टांप भी इसमें लगाया जा सकता है। उसी के कागजातों के आधार पर बीमा होता है। इसकी जांच बीमा कंपनी ही करती है। इसके बाद व्यक्ति टोल फ्री नंबर पर फोन कर नुकसान की जानकारी देता है। इसकी जांच भी बीमा कंपनी करती है और क्लेम पास कर भुगतान दे देती है। जाहिर है कहीं न कहीं बीमा कंपनी के लोग भी इसमें शामिल है। किसी भी मामले का सत्यापन नहीं किया गया। यदि सत्यापन कराया जाता तो शायद फर्जी भुगतान होने से बच जाता।