Karhal एक बार फिर से सपा के हिस्से, तेज प्रताप ने फूफा अनुजेश को दी मात; 5 प्वॉइंट्स में समझिए जीत के कारण
Karhal By Election Result 2024 मैनपुरी के करहल विधानसभा सीट पर सपा के तेज प्रताप यादव ने जीत हासिल कर ली है। उन्होंने अपने फूफा अनुजेश यादव को कड़ी टक्कर दी। करहल सीट पर तेज प्रताप यादव के जीत के कई कारण हैं। भाजपा द्वारा यादव प्रत्याशी उतारे जाने के बाद भी सपा के तेज प्रताप का ही जादू चला। तेज प्रताप की जीत के कारण कुछ प्वॉइंट्स में समझिये...
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। (Karhal By Election Result 2024) मैनपुरी के करहल सीट को उसका नया किंग मिल गया है। सपा के तेज प्रताप यादव ने भाजपा के अनुजेश यादव को 14,704 मतों से हरा दिया है। ये मुकाबला काफी दिलचस्प रहा। बता दें कि करहल विधानसभा सीट सबसे हॉट रही। हो भी क्यों ना, इस सीट पर मेन फाइट फूफा और भतीजे के बीच था। ये सीट सपा का गढ़ मानी जाती है, लेकिन भाजपा ने इस सीट पर यादव कैंडिडेट अनुजेश यादव को उतारकर मुकाबले को और भी दिलचस्प कर दिया था। हालांकि भाजपा के अनुजेश का जादू चल नहीं पाया और सपा के तेज प्रताप यादव ने 14,704 मतों से जीत हासिल की।
ये सीट इसलिए भी हॉट थी, क्योंकि इस पर मुलायम सिंह यादव के दामाद अनुजेश और लालू यादव के दामाद तेज प्रताप यादव आमने-सामने थे। सपा ने तो जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन यह वही सीट है, जहां भाजपा ने भी अपनी पूरी ताकत झोंकी थी। करहल विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को प्रभारी बनाया था। उनके साथ पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और राज्य मंत्री अजीत पाल सिंह को कमान सौंपी थी।
बावजूद इसके तेज प्रताप यादव ने अपने फूफा को पटकनी दे दी और एक बार फिर से करहल की सीट समाजवादी पार्टी के हिस्से आई।
आइये पांच प्वॉइंट में जानते हैं, सपा के तेज प्रताप यादव की जीत के कारण-
यादव परिवार की परंपरागत सीट रही है करहल
मैनपुरी की करहल सीट समाजवादी पार्टी के दबदबे वाली सीट मानी जाती है। ये सीट सपा का गढ़ मानी जाती है। इस सीट को यादव लैंड के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि करहल में लोग किसी पार्टी के प्रत्याशी नहीं, बल्कि सपा के नाम पर वोट देते हैं। हालांकि भाजपा ने यादव चेहरा अनुजेश यादव लाकर वोटों में सेंध लगाने की खूब कोशिश की, लेकिन नाकाम रही। क्योंकि ये धरती नेताजी के नाम से ही जानी जाती है।
सही मायनों के 1957 के चुनाव में करहल सीट अस्तित्व में आई। उससे पहले देश के पहले विधानसभा चुनाव के दौरान 1952 में करहल वेस्ट कम शिकोहाबाद नाम से विधानसभा क्षेत्र का सृजन किया गया था। इसमें शिकोहाबाद का बड़ा हिस्सा शामिल था। उस चुनाव में केएमपीपी के बंशीदास धनगर ने जीत हासिल की थी। 1957 में करहल स्वतंत्र रूप से विधानसभा सीट बनी, तो प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़े नत्थू सिंह ने जीत हासिल की थी। इसके बाद सीट सुरक्षित कर दी गई, जो वर्ष 1974 में सामान्य हुई।
सीट सामान्य होने पर नत्थू सिंह ने बीकेडी से भाग्य आजमाया और जनता ने उनको जीत दिलाई। 2002 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर लड़े सोबरन सिंह यादव विजेता रहे। इसके बाद सोबरन सिंह यादव सपा में शामिल हो गए। 2007, 2012 व 2017 के चुनाव में भी उनको जीत मिली। यहां पर हमेशा पीडीए का ही जादू चलता रहा है।इसे भी पढ़ें- Karhal bypoll Results 2024: तेज प्रताप बने करहल के नए किंग, फूफा अनुजेश यादव को 14,704 मतों से हराया
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