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    क्या है नैनोस्पान्ज!...CCSU के एमएससी फिजिक्स के छात्रों ने हाई क्वालिटी रिव्यू में दी विस्तार से व्याख्या 

    By Amit Tiwari Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Tue, 02 Dec 2025 02:10 PM (IST)

    चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के छात्रों सिमरन वर्मा और अभय सिंह राणा ने प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा के मार्गदर्शन में नैनोस्पान्ज पर एक उच्च-गुणवत्ता वाला रिव्यू आर्टिकल प्रकाशित किया है। यह पहली बार है जब एमएससी के छात्रों ने ऐसा शोध किया है, जिसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल में स्थान मिला है। यह शोध नैनोस्पान्ज की संरचना और उपयोगिता पर केंद्रित है, जो भविष्य में सेंसर तकनीक में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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    सिमरन और अभय ने लेख में इस तरह दर्शाया है नैनोस्पान्ज की उपयोगिता। स्रोत : लेख

    जागरण संवाददाता, मेरठ। शिक्षा, शोध और नवाचार, तीनों क्षेत्रों में बढ़ती चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) की प्रतिष्ठा में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग ने शोध और नवाचार की दिशा में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है।

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    प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा की लैब में कार्यरत एनएससी फिजिक्स द्वितीय वर्ष की छात्रा सिमरन वर्मा और छात्र अभय सिंह राणा ने अपना 51 पेज का उच्च-गुणवत्ता वाला रिव्यू आर्टिकल विश्व-प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय जर्नल केमिस्ट्री : ऐन एशियन जर्नल में आनलाइन प्रकाशित कराया है। इसमें सुपरवाइजर की भूमिका भारत सरकार के विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से एप्लाइड साइंस की महिला वैज्ञानिक प्रीति ने निभाई है।

    इम्पेक्ट फैक्टर 3.9 वाला यह जर्नल जर्मनी के वाइली-वीसीएच की ओर से प्रकाशित किया जाता है। दिसंबर 2025 में प्रकाशित यह शोध सीसीएसयू के लिए अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण है, क्योंकि विश्वविद्यालय में यह पहली बार हुआ है कि एमएससी के छात्रों ने अपने प्रथम वर्ष के प्रोजेक्ट वर्क में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर का शोध-रिव्यू आर्टिकल सफलता से प्रकाशित किया हो। विशेषज्ञ इस उपलब्धि को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) के उस मूल उद्देश्य की सफलता मान रहे हैं, जिसमें उच्च शिक्षा में अनुभव आधारित अधिगम (लर्निंग बाई डूइंग) को प्राथमिकता दी गई है। यह उपलब्धि पुराने भारतीय शिक्षा माडल की उस परंपरा को भी याद दिलाती है जिसमें अभ्यास और प्रयोग आधारित सीखने को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता था।

    नैनोस्पान्ज : अगली पीढ़ी के केमोसेंसर और बायोसेंसर का भविष्य
    छात्रों द्वारा प्रकाशित यह रिव्यू आर्टिकल ‘नैनोस्पान्ज-एनएसपी’ जैसे उभरते एडवांस्ड मटीरियल पर केंद्रित है, जिसे आज की वैज्ञानिक दुनिया में ट्यूनेबल, पोरोस और हाई-सर्फेस-एरिया वाले स्मार्ट सामग्री के रूप में जाना जाता है। ये नैनोस्पान्ज भविष्य में केमोसेंसर, बायोसेंसर, हेल्थकेयर डायग्नोस्टिक्स, एनवायरनमेंटल मोनिटरिंग, वियरेबल डिवाइस, आइओटी-इनेबल्ड प्लेटफार्म जैसे क्षेत्रों में एक नेक्स्ट-जेनरेशन साल्यूशन साबित होंगे।

    रिव्यू में एनएसपी की संरचना, उनकी पोरोसिटी, फंक्शनलाइजेशन, मटीरियल ट्यूनिंग, सेंसरिंग एप्लीकेशन और रियल-टाइम डिटेक्शन सिस्टम में उपयोगिता पर एक सुव्यवस्थित वैज्ञानिक चर्चा प्रस्तुत की गई है। इसके साथ ही, भारी धातु आयन डिटेक्शन, टाक्सिक गैस विश्लेषण, ग्लूकोज मोनिटरिंग, एंजाइम एक्टिविटी और पैथोजन डिटेक्शन जैसे व्यावहारिक अनुप्रयोगों का विस्तारपूर्वक विवरण दिया गया है।

    दक्षिण कोरिया में किया था नैनोस्पान्ज पर शोध
    फिजिक्स विभाग के प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा वर्ष 2016 से नैनोस्पान्ज तकनीक पर शोध कर रहे हैं। बताया कि उस समय वह दक्षिण कोरिया के डोंगगुक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। उनकी टीम पहले ही गोल्ड (एसू) और सिल्वर (एजी) एनकैप्सुलेटेड जेडएनओ नैनोस्पान्ज विकसित कर चुकी है। इन शोध कार्यों को करेंट एप्लाइड फिजिक्स (एल्सवियर) और जर्नल आफ ल्यूमिनेसेंस (एल्सवियर) जैसे प्रतिष्ठित विज्ञान जर्नलों में प्रकाशित किया जा चुका है।

    यह नैनोस्पन्ज अपनी आप्टिकल, इलेक्ट्रानिक और सेंसरिंग क्षमताओं के कारण बेहतरीन चीमो और बायो-सेंसर प्लेटफार्म के रूप में उभर रहे हैं। प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि रिव्यू में बताया गया है कि नैनोस्पान्ज की नियंत्रित पोरोसिटी और सरफेस ट्यूनिंग क्षमता उन्हें पहनने वाले उपकरण, एआइ समर्थित स्मार्ट सिस्टम, लैब-आन-ए-स्पंज प्लेटफार्म, पेनडेमिक मोनिटरिंग, फूड फ्रेशनेस जांच जैसे नवाचारों को बेहद उपयोगी बनाती है। एनएसपी पर आधारित मिनिएचराइज्ड, इंटेलिजेंट और सस्टेनेबल सेंसर, स्वास्थ्य देखभाल और पर्यावरण निगरानी में नए आयाम खोलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।