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Meerapur By Election: मीरापुर में क्यों हार गई सपा… सामने आई बड़ी वजह, रालोद की जीत का खुल गया रहस्य!

उत्तर प्रदेश की मीरापुर विधानसभा सीट पर रालोद (राष्ट्रीय लोक दल) ने जीत हासिल की है। यह सीट रालोद के लिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में रालोद के टिकट पर बिजनौर लोकसभा सीट पर सांसद चुने जाने के बाद चंदन चौहान ने मीरापुर विधायक पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद रालोद ने मिथलेश पाल को मैदान में उतारा और जीत हासिल की।

By Shivam Yadav Edited By: Shivam Yadav Updated: Sat, 23 Nov 2024 05:09 PM (IST)
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मीरापुर के चुनावी रण में रालोद ने अपनी छूटी हुई साख जोड़ ली।
डिजिटल डेस्क, मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश की मीरापुर विधानसभा सीट पर एक बार फिर रालोद (राष्ट्रीय लोक दल) अपना परचम लहराने में कामयाब रही। यहां रालोद प्रत्याशी मिथलेश पाल ने 84304 वोट प्राप्त करते हुए 30796 वोटों से जीत हासिल की है। दूसरे स्थान पर सपा प्रत्याशी सुंबुल राणा रहीं, जिन्हें कुल वोट 53508 प्राप्त हुए।

मीरापुर विधानसभा उपचुनाव- 2024 के नतीजे

प्रत्याशी पार्टी वोट  मार्जिन
मिथलेश पाल  रालोद 84304 +30796
सुंबुल राणा  सपा 53508 -30796
जाहिद हुसैन  आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) 22661 -61643
मोहम्मद अरशद  एआईएमआईएम 18869 -65435
शाहनजर  बसपा 3248 -81056
शिव कुमार पिछड़ा समाज पार्टी 830 -83474
गुरदर्शन सिंह राष्ट्रीय समाज पार्टी (आर) 513 -83791
वकार अजहर  निर्दलीय 429 -83875
लियाकत मजलूम समाज पार्टी 266 -84038
अमरनाथ  निर्दलीय 233 -84071
राजाबल सिंह राणा निर्दलीय 188 -84116
नोटा - 501 -83803
नोट: आंकड़े  इलेक्शन कमीशन के वेबसाइट पर प्रकाशित मतगणना के अनुसार हैं।

पढें मीरापुर से जुड़े रोचक तथ्य

2012 में अस्तित्व में आई मीरापुर सीट पर अब तक तीन चुनाव हुए, जिनमें बसपा और भाजपा के बाद रालोद ने जीत हासिल की। 2024 में हुआ उपचुनाव चौथा चुनाव रहा और इस चुनावी रण में रालोद ने अपनी छूटी हुई साख जोड़ ली।

लोकसभा चुनाव 2024 में रालोद की टिकट पर बिजनौर लोकसभा सीट पर सांसद चुने जाने के बाद चंदन चौहान ने मीरापुर विधायक पद से इस्तीफा दिया, जिसके चलते यहां पर उपचुनाव हुआ। चंदन चौहान ने बाइस के चुनाव में रालोद को जीत दिलाई थी। ऐसे में यह सीट रालोद के लिए जीतना जरूरी हो गया था।

सपा मीरापुर में क्यों हारी?

मीरापुर विधानसभा का उपचुनाव काफी रोचक हो गया। यहां पर सपा की हार के कारण कई प्रमुख कारण माने जा रहे हैं, जिनमें से सबसे पहला तो यह है कि मुस्लिम बहुल सीट पर वोट प्रतिशत में काफी कमी रही। मतदान के दिन मुस्लिम बहुल इलाकों में 40 प्रतिशत ही वोटिंग हो पाई।

इसके अलावा, सपा ने नए चेहरे के साथ प्रयोग किया था, जबकि रालोद ने पुराना और टिकाऊ पत्ता फेंका। गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू सुंबुल राणा का प्रत्याशी बनाया था, जिनका अपना कोई राजनीतिक करियर नहीं रहा। हालांकि, उनकी गिनती करोड़पतियों में जरूर होती है।

मिथलेश पाल की जीत का सबसे बड़ा कारण

उपचुनाव की घोषणा के बाद एनडीए गठबंधन में शामिल रालोद के लिए भाजपा ने यह सीट छोड़ दी थी। रालोद ने अपना प्रत्याशी मिथलेश पाल को बनाया, जिसके बाद यह कयास लगाए जाने लगे कि कि रालोद के लिए यह सीट चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन मतगणना के बाद जीत मिथलेश के पाले में आ गई। 

मतदान प्रतिशत का जो आंकड़ा सामने आया, उससे काफी हद तक मिथलेश की जीत मानी जा रही थी। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इस बार रालोद को भाजपा का सपोर्ट मिल गया। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रचार के आखिरी दिनों में यहां रैली की थी।

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