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UP Bypoll: खूब चढ़ेगा मीरापुर का सियासी पारा, 3 दिन तक बैक टू बैक आने वाले हैं तीन कद्दावर नेता; बदलाव के हिंट

मीरापुर उपचुनाव के लिए मतदान की तिथि नजदीक आते ही राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। 16 नवंबर को अखिलेश यादव सपा प्रत्याशी सुम्बुल राना के समर्थन में जनसभा करेंगे। 17 नवंबर को जयन्त चौधरी मिथलेश पाल के समर्थन में रोड शो करेंगे। 18 नवंबर को असदुद्दीन ओवैसी एआइएमआइएम प्रत्याशी मोहम्मद अरशद के समर्थन में मीरापुर में संभावित रूप से आएंगे।

By Anand Prakash Edited By: Aysha Sheikh Updated: Fri, 15 Nov 2024 03:01 PM (IST)
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अखिलेश यादव, जयंत चौधरी और असदुद्दीन ओवैसी
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। मीरापुर सीट के उपचुनाव के लिए मतदान की तिथि का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। इसीलिए सभी प्रत्याशियों और उनकी पार्टियों के नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी है। अब तीन दिन तक राजनीतिक पारा और चढ़ने वाला है। क्योंकि तीन प्रमुख प्रत्याशियों के समर्थन में उनकी पार्टी के कद्दावर नेता चुनावी जनसभा और रोड शो करने वाले हैं। इन कार्यक्रमों को लेकर पार्टी पदाधिकारियों की तरफ से तैयारियां आरंभ कर दी गई हैं।

अखिलेश यादव की सुम्बुल राना के समर्थन में चुनावी जनसभा

दरअसल, 16 नवंबर को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मीरापुर सीट से सपा प्रत्याशी सुम्बुल राना के समर्थन में ककरौली में चुनावी जनसभा करेंगे। सपा जिलाध्यक्ष जिया चौधरी ने बताया कि कार्यक्रम स्थल तय हो गया है, शुक्रवार को सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी।

17 नवंबर को आएंगे जयन्त चौधरी

उधर, मालूम चला है कि भाजपा-रालोद गठबंधन की संयुक्त प्रत्याशी मिथलेश पाल के समर्थन में एक बार फिर से 17 नवंबर को रालोद अध्यक्ष एवं केंद्रीय राज्यमंत्री जयन्त चौधरी मीरापुर क्षेत्र में पहुंचने वाले हैं। इस बार वह रोड शो करेंगे। जबकि पूर्व में दो बार वह क्षेत्र में आकर जनसभाएं कर चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मोरना में हुई जनसभा में भी जयन्त चौधरी मौजूद रहे थे।

18 नवंबर को असदुद्दीन ओवैसी के आने की चर्चा

इसके अलावा 18 नवंबर को एआइएमआइएम के प्रत्याशी मोहम्मद अरशद के समर्थन में पार्टी अध्यक्ष एवं सांसद असदुद्दीन ओवैसी के आने की भी चर्चा जोरों पर हैं। हालांकि उनका कार्यक्रम अभी तय नहीं हुआ है। इन तीनों कार्यक्रमों की वजह से चुनावी माहौल में गर्माहट पैदा होने की संभावना है।

अभी तक सभी प्रत्याशी और पार्टियों द्वारा मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की पुरजोर कोशिशें की गई हैं, जिसमें जातीय समीकरण साधने के लिए अलग अलग प्रकोष्ठ के नेताओं को लगाया गया है। इन तीनों कार्यक्रमों के बाद चुनावी समीकरणों में बदलाव के भी संकेत मिल रहे हैं।

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