नोएडा में 1200 करोड़ से बने चाइल्ड PGI में मेंटेनेंस प्रस्ताव को मंजूरी, बारिश में छत और पिलर से टपकता था पानी
नोएडा के चाइल्ड पीजीआई में 1200 करोड़ रुपये के मेंटेनेंस प्रस्ताव को स्वीकृति मिली। बारिश में छत और पिलर से पानी टपकने की समस्या को देखते हुए यह फैसला लिया गया। मरम्मत कार्य जल्द शुरू होगा और गुणवत्ता नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि भविष्य में ऐसी दिक्कतें न हों।

सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई अस्पताल।
जागरण संवाददाता,नोएडा। सेक्टर-30 में 1200 करोड़ रुपये से बनी चाइल्ड पीजीआई की जर्जर बिल्डिंग में 30 करोड़ रुपये के मेंटेनेंस प्रस्ताव को शासन ने अनुमति दे दी है। करीब तीन महीने से शासन स्तर पर प्रस्ताव अटका हुआ था। राहत की बात है कि इस सप्ताह पीजीआई के निदेशक को शासन से पत्र मिलने पर राजकीय निर्माण निगम मेंटेनेंस और लीकेज की समस्या को दूर करने का काम शुरू कराएगा।
अधिकारियों ने बताया कि राजकीय निर्माण निगम ने 2008 में चाइल्ड पीजीआई का निर्माण शुरू किया था। शासन से करीब 1200 करोड़ रुपये का बजट मिलने पर निर्माण कार्य 2015 में पूरा हुआ था लेकिन, रख-रखाव सही से नहीं हुआ तो नौ साल में ही बिल्डिंग जर्जर होने लगी।
अस्पताल के बी-वन और बी-टू बेसमेंट, आईसीयू और पहले तल की छत व पिलर से पानी टपकता रहता है। अधिकारी का कहना है कि निर्माणकार्य के दौरान पाइप फिटिंग में कई जगह खामी रह गई थी, जिससे अधिकांश तल पर पानी लीकेज की समस्या रहती है। लीकेज के कारण कई बार विभिन्न तल पर फाल्स सीलिंग गिरने के भी मामले होते रहते हैं।
फाल्स सीलिंग गिरी और दीवारें भी कमजोर
कुछ महीने पहले निदेशक कार्यालय में ही फाल्स सीलिंग गिर गई थी। तीमारदारों के कमरों की फाल्स सीलिंग भी कमजोर है। हालात यह है कि कभी भी फाल्स सीलिंग से पानी टपकने लगता है। बच्चों की सर्जरी वाला आपरेशन थियेटर भी बंद करना पड़ा गया था। लगातार समस्या बढ़ने पर आईआईटी रुड़की से बिल्डिंग का स्ट्रक्चरल ऑडिट की रिपोर्ट मिलने पर शासन से बजट की मांग की थी। अस्पताल के रखरखाव के लिए सलाना 40 करोड़ रुपये खर्चे की बात सामने आई है।
निदेशक प्रोफेसर डॉ. अरुण कुमार सिंह का कहना है कि आईआईटी रुड़की से बिल्डिंग का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने के बाद राजकीय निर्माण निगम ने मेंटेनेंस के लिए करीब 30 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा था। पिछले दिनों शासन ने करीब 27 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। अब इसका पत्र मिलने का इंतजार है। राजकीय निर्माण निगम पत्र मिलते ही कुछ समय निर्माण एवं मेंटेनेंस कार्य शुरू कराएगा।

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