उम्रकैद की सजा काट रहे दो भाइयों की समय पूर्व रिहाई पर निर्णय ले सरकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हत्या के आरोप में 22 साल से उम्रकैद की सजा काट रहे वाराणसी के दो सगे भाइयों मंजीत पांडेय और लिटिल पांडेय की समय पूर्व रिहाई पर फैसला लेने के लिए राज्य सरकार को 22 अक्टूबर तक का समय दिया है। कोर्ट ने यह आदेश दोनों भाइयों की तरफ से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हत्या के आरोप में 22 वर्षों से उम्रकैद काट रहे वाराणसी के दो सगे भाइयों मंजीत पांडेय व लिटिल पांडेय की समय पूर्व रिहाई की अर्जी पर राज्य सरकार को 22 अक्टूबर तक निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एके सांगवान तथा न्यायमूर्ति एमएएच इदरीसी की खंडपीठ ने दोनों भाइयों की तरफ से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि इनकी अर्जी पांच दिसंबर 2023 व एक मार्च 2024 को राज्य सरकार को भेजी गई है।
याचिका पर अधिवक्ता आदर्श शुक्ल ने बहस की। उनका कहना था कि हत्या के आरोप में वाराणसी की सत्र अदालत ने आठ फरवरी 2010 को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके खिलाफ अपील और एसएलपी खारिज हो गई। इसके बाद याचियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए अर्जी दी गई कि वे 17 साल से सजा काट रहे हैं।
समय पूर्व रिहाई है अधिकार
सरकार की नीति के तहत उनको समय पूर्व रिहाई का अधिकार है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने जेल प्राधिकारी को विधिक सेवा प्राधिकरण की सहायता से याचियों की समय पूर्व रिहाई की अर्जी सरकार को भेजे। सरकार छह सप्ताह में नियमानुसार निर्णय ले। इसके बावजूद रिहाई न होने पर यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई थी।
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