फिंगर प्रिंट बताएंगे ट्रेन या रेलवे स्टेशन पर कब किया है अपराध, ट्रेन-प्लेटफार्म पर क्राइम करने वाले बदमाशों पर नकेल
प्रयागराज जीआरपी ने अपराधों पर लगाम कसने के लिए एक नई पहल की है। अब अपराधियों के फिंगर प्रिंट से उनकी पहचान आसानी से हो सकेगी। नफीस नामक एक सिस्टम के ...और पढ़ें

फिंगरप्रिंट से खुलेगा ट्रेन में चोरी या प्लेटफार्म पर छिनैती करने वाले अपराधियों का राज खुलेगा, जीआरपी की नई तकनीक है।
अमरीश मनीष शुक्ल, प्रयागराज। अब ट्रेन में चोरी करने वाला चोर या प्लेटफार्म पर छिनैती करने वाला बदमाश कितना भी शातिर हो, उसकी उंगलियों के निशान उसे बेनकाब कर देंगे। अपराधी के पकड़े जाने के बाद फिंगरप्रिंट एक बार दर्ज हुआ, फिर जीवन भर पीछा नहीं छोड़ेगा।।
जीआरपी प्रयागराज ने यह नया हथियार थाम लिया है और अपराधियों की उंगलियों को देश के सबसे बड़े डिजिटल जाल में कैद करना शुरू कर दिया है। इसका नाम है नफीस यानी नेशनल आटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम। देशभर में अपराधियों के फिंगरप्रिंट का यह सबसे बड़ा केंद्रीकृत डेटाबेस है, जिसे नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) चलाता है। अभी तक सुरक्षा एजेंसियां, यूपी समेत दूसरे राज्यों की पुलिस इसका इस्तेमाल करते थी, लेकिन अब यूपी जीआरपी भी पूरी ताकत से इसमें शामिल हो रही है।
हर अपराधी को एक खास 10 अंकों का राष्ट्रीय फिंगरप्रिंट नंबर (एनएफएन) मिलेगा। इस नंबर से अपराधी का पूरा आपराधिक इतिहास एक क्लिक पर खुल जाएगा, चाहे उसने 10 साल पहले प्रयागराज में कांड किया हो, लखनऊ में चोरी की हो या दिल्ली में छिनैती। अलग-अलग एफआइआर, अलग-अलग थाने, अलग-अलग राज्य – सब एक ही नंबर से जुड़ जाएंगे। नंबर के पहले दो अंक बताते हैं कि अपराधी को सबसे पहले किस राज्य में पकड़ा गया था।
जीआरपी थाना प्रभारी एके सिंह बताते हैं कि अब प्रयागराज जीआरपी में हर गिरफ्तार अपराधी का फिंगरप्रिंट तुरंत नफीस में अपलोड हो रहा है। अब तक 17 अपराधियों का फिंगरप्रिंट दर्ज हो चुका है, इस प्रक्रिया कि वह खुद इसकी निगरानी करते हैं। चोरी, छिनैती, नशे की तस्करी, महिलाओं से छेड़छाड़ – कोई भी रेलवे से जुड़ा अपराध हो, अपराधी का बायोमेट्रिक डेटा अब देश के इस डिजिटल खजाने में सुरक्षित रहेगा। यानी अब भागने की कोई गुंजाइश नहीं होंगी। उंगलियां गवाही देंगी, और सजा पक्की होगी।
एडीजी रेलवे प्रकाश डी. का कहना है कि नेशनल आटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम के लिए अलग तरह का साफ्टवेयर और हार्डवेयर आवश्यक होता है। इस समय यूपी जीआरपी में अपग्रेडेशन का कार्य चल रहा है। इस कार्य के लिए विशेष दक्ष कर्मचारी की आवश्यकता होती है, इसके प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी पूरी की जा रही है। जीआरपी थाना प्रयागराज में इसकी शुरुआत कर दी गई है और चरणबद्ध तरीके से पूरे प्रदेश में लागू होगा। अब अपराधी नाम बदल ले, पता बदल ले, चेहरा बदल ले – लेकिन उंगलियों के निशान नहीं बदल सकता। नफीस से हम एक ही अपराधी के सारे पुराने-अस्तित्व के रिकार्ड एक साथ देख पाएंगे। इससे न सिर्फ जांच तेज होगी, बल्कि बार-बार अपराध करने वाले आदतन अपराधियों पर सख्ती करना आसान हो जाएगा।

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