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    संगम में प्रवासी साइबेरियन पक्षियों की अठखेलियां मन मोह लेगी, शीत ऋतु में आप भी प्रयागराज आ रहे हैं तो यहां अवश्य जाएं

    By Jagran News Edited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Sun, 19 Oct 2025 02:28 PM (IST)

    प्रयागराज में संगम पर प्रवासी साइबेरियन पक्षियों का आगमन पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर ये पक्षी शीत ऋतु में साइबेरि ...और पढ़ें

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    प्रयागराज संगम पर अठखेलियां करते प्रवासी साइबेरियन पंक्षी, जो लोगों को सुखद अनुभूति देते हैं । जागरण

    सूर्य प्रकाश तिवारी, प्रयागराज। आप प्रकृति के प्रेमी हैं और प्रयागराज आ रहे हैं तो संगम जरूर जाएं।  गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की पावन धरा पर बसा यह शहर सिर्फ धार्मिक मान्यताओं को ही नहीं समेटे है, बल्कि प्रकृति की अमूल्य धरोहर का भी संरक्षण कर रहा है।

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    संगम की खूबसूरती में चार-चांद लगा रहे 'विदेशी मेहमान'

    हरियाली से भरे पहाड़ी व मैदानी इलाके त्रिवेणी की पवित्र भूमि की खूबरसती का ताज हैं तो हर साल शीत ऋतु में आने वाले विदेशी मेहमान भी उसमें चार-चांद लगा रहे हैं। हम यहां पर जिन मेहमानों की बात कर रहे हैं, वह हैं प्रवासी पक्षी। इन साइबेरियन पक्षियों में सबसे अधिक संख्या साइबेरियन सीगल की होती है। इसके अलावा बार हेडेड समेत अन्य प्रजातियों के पक्षी भी शामिल रहते हैं।

    संगम व गंगा के तराई वाले इलाकों में बसेरा

    संगम समेत गंगा के तराई वाले इलाको के आसपास इनका सबसे अधिक बसेरा होता है। इसके अलावा लाक्षागृह स्थित झील में भी यह डेरा जमाते हैं। लगभग पांच से छह महीने का समय यहां बिताते हैं। गंगा की धारा के ऊपर से उड़ान भरने और अठखेलियां करने का मनोरम दृश्य ऐसा होता है, जो किसी को भी अपना दीवाना बना ले।

    कहीं और क्यों... संगम ही आ जाइए

    कहीं और जाने की जरूरत ही नहीं। आप संगम पर ही आ जाइए। यहीं पर आपको कलरव करते साइबेरियन पक्षियों के लुभावने दृश्य दिख जाएंगे। कितना भी तनाव हो इन साइबेरियन पक्षियों की चहचहाहट, सब दूर कर देती है। ऐसा लगता है कि बस इन्हें निहारते ही रहो। यही नहीं खुशकिस्मत रहे तो पूरे विश्व में गिने-चुने बचे राकेट बर्ड कहे जाने वाली फाल्कन पेरेग्रीन जैसे विलुप्त की कगार पर पहुंचे पक्षियों की झलक भी यहां देखने को मिल सकती है।

    पांच महीने रहता है बसेरा

    प्रयागराज में इन विदेशी मेहमानों को अनुकूल वातावरण मिलता है। साथ ही यहां पर उनके खाने-पीने की भी कोई कमी नहीं। नदियों व उनके आसपास प्रकृति ने खुद इसका इंतजाम कर रखा है। इसके अलावा यह साइबेरियन पक्षी यहां पर खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। यही कारण है कि अक्टूबर में सर्दी के दस्तक देते ही यह आमद दर्ज कराने लगते हैं। फिर, गर्मी के आने के पहले फरवरी या मार्च में यहां से विदा ले लेते हैं।

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