पुल की फाइल मुख्यालय में अटकी, 29 करोड़ की स्वीकृति के बाद भी काम ठप, विभागों की खींचतान से जनता त्रस्त
शाहजहांपुर में गर्रा नदी पर नए पुल का निर्माण विभागों के बीच खींचतान में फंसा है। 29 करोड़ का बजट स्वीकृत होने के बाद भी फाइल अटकी है, जिससे जनता परेश ...और पढ़ें
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गर्रा नदी पर निर्माणाधीन पुल
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। गर्रा नदी के जर्जर पुल के स्थान पर नए निर्माण को लेकर दो विभागों के बीच खींचतान में यह महत्पूर्ण परियोजना अटक गई है। 29 करोड़ की बजट स्वीकृति के बाद भी मुख्यालय स्तर पर अटकी फाइल को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करना तो दूर अधिकारी रिमाइंडर भेजने तक को तैयार नहीं हैं। इससे हो रही देरी का सीधा नुकसान जनता को उठाना पड़ रहा है।
जाम के साथ-साथ यहां पर होने वाले हादसों में कई बार लोगों को जान तक जा रही है। ऐसे में प्रशासनिक स्तर पर उदासीनता मुसीबत बन रही है। गर्रा नदी पर पुराने जर्जर पुल को तोड़कर नए पुल का निर्माण कराया जाना है। इसके लिए दो वर्ष पूर्व लोक निर्माण विभाग के प्रस्ताव पर शासन ने स्वीकृति भी दे दी थी।
इसके डीपीआर तैयार करके 29 करोड़ बजट की मांग भेजी गई थी, लेकिन इसके बाद बजट जारी नहीं हुआ। यहां से भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार पुराने जर्जर पुल गिराने का काम लोक निर्माण विभाग को कराना था, जिसके लिए 37 लाख रुपये बजट विभाग को दिया जाना था। जबकि नए निर्माण की जिम्मेदारी सेतु निगम को दी गई, लेकिन अब मुख्यालय से दोनों ही कार्य सेतु निगम को देने पर बात हो रही है, पर इस पर अब तक सहमति नहीं बन सकी है, जिस कारण फाइल भी जहां की तहां रुकी हुई है।
लोक निर्माण विभाग की ओर से भी इस महत्वपूर्ण पुल प्रस्ताव पर दोबारा रिमाइंडर नहीं भेजा गया। विभागीय अधिकारियों ने सेतु निगम पर जिम्मेदारी डाल दी। लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड के अवर अभियंता महेंद्र पाल ने कहा कि 60 मीटर से अधिक लंबाई वाले पुल का निर्माण सेतु निगम को कराना होता है। उन्होंने प्रस्ताव बनाकर भेजा था, जिस पर स्वीकृति मिल गई है।
अब पुल को गिराकर उसका निर्माण सेतु निगम को कराना है। ऐसे में बजट के लिए रिमाइंडर भी सेतु निगम को ही भेजना चाहिए। वहीं सेतु निगम के परियोजना अधिकारी विजेंद्र मौर्या ने कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है। प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग की ओर से भेजा गया तो आगे की प्रक्रिया भी उसी को पूरी करनी होगी। उनका काम निर्माण कराने का है।
बजट मिलने पर निविदा के अनुसार प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। दो वर्ष पूर्व स्वीकृति मिलने के बाद भी अब तक नए पुल का काम शुरू न होने से शहर की आबादी का बड़ा हिस्सा जाम से जूझ रहा है। इसमें बरेली मोड़, अजीजगंज व इसके आसपास के क्षेत्रों में विकसित कालाेनियों में रहने वाले लोग, कामकाजी लोग व अस्पतालों में आने वाले मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। एप्रोच रोड के दोनों ओर लगने वाली फुटकर दुकानें व अतिक्रमण इस समस्या को और अधिक बढ़ा रहा है।

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