UP Byelection : कांग्रेस अपने हिस्से आई सीटों को बदलने का कर रही प्रयास, सपा ने दो सीटें दी हैं कांग्रेस के खाते में...
लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद दोनों दलों के नेता उपचुनाव में भी साथ मिलकर मैदान में उतरने की बात भले ही पहले कह चुके हैं लेकिन उनके बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अभी खींचतान जारी है। सपा सात सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। सपा ने खैर व गाजियाबाद की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ी है।
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। विधानसभा उपचुनाव में अपनी ताकत आजमाने के लिए उत्साहित कांग्रेस सपा के साथ गठबंधन के चलते उसके हिस्से आई सीटों से संतुष्ट नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारी खैर व गाजियाबाद सीट को घाटे का सौदा मान रहे हैं। इन सीटों पर कांग्रेस को अपनी जीत की राह बहुत कठिन नजर आ रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अपने हिस्से आई सीटों को बदलवाने के लिए भीतरखाने बातचीत चल रही है। कांग्रेस फूलपुर व मझवां सीट पर अपना प्रत्याशी उतारने की मांग कर रही है।
बंटवारे को लेकर अभी खींचतान जारी
लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद दोनों दलों के नेता उपचुनाव में भी साथ मिलकर मैदान में उतरने की बात भले ही पहले कह चुके हैं लेकिन उनके बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अभी खींचतान जारी है। सपा सात सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है।सपा ने खैर व गाजियाबाद की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ी है। इसके बाद भी कांग्रेस ने इन सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। न ही इन सीटों पर अपने उम्मीदवारों को लेकर पत्ते खोले हैं। जबकि इन दो सीटों के कांग्रेस के हिस्से में आने की बात पहले ही साफ हो गई थी।
पार्टी ने अभी तक स्थिति नहीं की साफ
गाजियाबाद में शुक्रवार को आयोजित संविधान बचाओ संकल्प सम्मेलन में प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष अजय राय व कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना साथ थे। इसके बाद भी प्रदेश कांग्रेस ने शुक्रवार देर रात तक हिस्से आई दो सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर कोई बयान नहीं जारी किया।पार्टी सूत्रों की मानें तो पांच सीटों की मांग कर रहा प्रदेश संगठन संतुष्ट नहीं है और केंद्रीय नेतृत्व तक अपनी बात पहुंचा चुका है। माना जा रहा है कि शनिवार को तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाएगी। हालांकि इसे लेकर कांग्रेस नेता सीधे तौर पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। उनका यही कहना है कि अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व का होगा।
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