काशी में कबीर वाणी "गुरू कुम्हार शिष कुंभ है..." के भावों से आह्लादित हुआ दीक्षा समारोह का मंच
वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में गुरु और शिष्य का अनूठा मिलन हुआ। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने दीक्षा समारोह में गुरु ध्रुव सापकोटा को रजत पदक और शिष्य विशाल बंजाड़े को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। गुरु योग तंत्र विषय के आचार्य हैं जबकि शिष्य ने शास्त्री में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए।

जागरण संवाददाता,वाराणसी (ध्यानचंंद शर्मा)। "गुरू कुम्हार शिष कुंभ है, गढि-गढि काढै खोट। अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।।" संत कबीर की काशी में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में कुम्हार और कुंभ का मेल ज्ञान के मंच पर एकाकर उस समय नजर आया जब गुरु और शिष्य दोनों को ही दीक्षा समारोह में मंच पर पदक से सम्मानित किया गया।
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के हाथों गुरु और शिष्य को एक ही मंच पर पदक मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ तो गुरु और शिष्य दोनों के चेहरे भावों से अभिभूत नजर आए। गुरु और शिष्य की परंपरा के क्रम में इस जोड़ी को देखकर पूरा सभागार हर्षित हो उठा।
गुरु के रूप में योग तंत्र विषय से आचार्य की परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर रजत पदक प्राप्त करने वाले ध्रुव सापकोटा जो वर्तमान में मंगला गौरी स्थित नेपाली संस्कृत महाविद्यालय में शिक्षक हैं तो वहीं इस विद्यालय में शास्त्री के योग तंत्र विषय में सर्वाधिक अंक पाने वाले उनके शिष्य विशाल बंजाड़े को राज्यपाल के हाथों एक ही मंच पर स्वर्ण पदक मिला तो गुरू का हृदय भी शिष्य के उनसे एक पदक आगे पाकर गदगद हो उठा।
दैनिक जागरण सबातचीत के दौरान गुरु सापकोटा ने बताया कि यह मेडल सही मायने में छात्रों को ही मिलना चाहिए। आज मेरे शिष्य को मेरे साथ ही एक मंच पर मेडल मिला ऐसा कम ही देखने को मिलता है। यह किसी सौभाग्य के क्षण से कम नहीं था।
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