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Uttarakhand: इस मानसून में सक्रिय रहे 52 बड़े भूस्खलन क्षेत्रों का होगा अध्ययन, विशेषज्ञ बातएंगे उपचार

Landslide Zone in Uttarakhand उत्तराखंड में इस वर्षाकाल में भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई। इस बार ही अतिवृष्टि के चलते हुए भूस्खलन से जानमाल की बड़े पैमाने पर क्षति हुई। आपदा में इस बार 77 व्यक्तियों की जान चली गई जबकि 37 घायल हुए और 23 लापता हैं। राज्य सरकार अब 52 बड़े भूस्खलन क्षेत्रों का अध्ययन करा रही है। इनमें भूस्खलन की रोकथाम के लिए कार्य किए जाएंगे।

By kedar dutt Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sat, 21 Sep 2024 07:57 PM (IST)
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Landslide Zone in Uttarakhand: अतिवृष्टि के चलते हुए भूस्खलन से जानमाल की बड़े पैमाने पर क्षति हुई। Jagran

राज्य ब्यूरो, जागरण  देहरादून। Landslide Zone in Uttarakhand: आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में इस वर्षाकाल में भी जगह-जगह भूस्खलन ने नींद उड़ाए रखी। इनमें सक्रिय रहे 52 बड़े भूस्खलन क्षेत्रों का सरकार अध्ययन कराने जा रही है। इन स्थानों पर बीती 31 मई से 16 सितंबर के मध्य भूस्खलन हुआ।

यूएलएमएमसी (उत्तराखंड लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर) के विशेषज्ञ आने वाले दिनों में इनका अध्ययन करेंगे। उनकी रिपोर्ट के आधार पर इन क्षेत्रों में भूस्खलन की रोकथाम को उपचारात्मक कार्य प्रारंभ किए जाएंगे।  उत्तराखंड में हर वर्षाकाल किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं टूटता। इस बार ही अतिवृष्टि के चलते हुए भूस्खलन से जानमाल की बड़े पैमाने पर क्षति हुई।

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इस बार 77 व्यक्तियों की जान चली गई

जगह-जगह सड़कें बाधित रहीं तो बादल फटने से कहीं खेत बह गए तो दूसरी परिसंपत्तियों को भी क्षति पहुंची। सरकारी आंकड़ों को ही देखें तो आपदा में इस बार 77 व्यक्तियों की जान चली गई, जबकि 37 घायल हुए और 23 लापता हैं। 469 छोटे-बड़े पशु काल कवलित हुए, जबकि 2800 घरों को नुकसान पहुंचा।

राज्य में इस बार छोटे-बड़े 500 से अधिक स्थानों पर भूस्खलन हुआ। इनमें 52 स्थान ऐसे रहे, जहां बड़े भूस्खलन हुए, जिनमें चार स्थानों पर एक से ज्यादा बार भूस्खलन हुआ। यद्यपि, तात्कालिक तौर पर वहां कदम उठाए गए, लेकिन अब इनके दीर्घकालिक उपचार पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

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यहां हुए बड़े भूस्खलन

भटवाड़ी, सोनानदी रेंज, फाटा, गुमड, बड़कोट, माझेरा, पाटी, द्वारा, जोगीधारा, पातालगंगा, डुंगरा, धरासू, डाबरकोट, आमसौड़, डिडसारी, गौरीकुंड, नेतला, बिनहार, तोली व तिनगढ़, रिखेली, सुनगर, चीरबासा, झाजरगाड, रोहिडा, ग्लोगी, बिशनपुर, थलीसैण, सोनप्रयाग से गौरीकुंड, रामबाड़ा से गरुड़चट्टी, बागेश्वर, भीमबली, कुथनोर व केशला, गुट्टू, नंदप्रयाग, गोफियारा (वरुणावत), नलुना, फूलचट्टी, बंदरकोट, नीराकोट, क्वार्ब पुल, मानगढ़, मेलधार, कांडानोला, गंगोली कौतुली-रामचौरी, बादेछीना-सेराघाट, धौलादेवी-खेलती-बजेली, राडी बैंड, मटियानी, सेवला, माखंडी व आदि कैलास।

राज्य में इस बार जिन स्थानों पर बड़े भूस्खलन हुए, अब उनके उपचार पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इन क्षेत्रों का यूएलएमएमसी से अध्ययन कराया जाएगा और फिर उसकी रिपोर्ट के आधार पर दीर्घकालिक उपचार के कार्य प्रारंभ होंगे। साथ ही इनकी निगरानी भी रखी जाएगी। -विनोद कुमार सुमन, सचिव आपदा प्रबंधन