IIT Roorkee और हिब्रू यूनिवर्सिटी रिसर्च में सामने आया मौसम का नया सच, एक लाख साल से अपनी जगह डटा है मानसून
उत्तराखंड और हिमालयी क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाओं के बीच, एक नए अध्ययन से पता चला है कि हिमालय में भूस्खलन की दर हजारों साल पहले भी आज के समान थी। नेपाल में काली गंडकी नदी घाटी में 1 लाख 20 हजार साल पहले एक झील बनी थी, जो भूस्खलन या हिमस्खलन के कारण बनी थी। अध्ययन में पाया गया कि हिमालय का क्षरण एक लाख बीस हजार साल पहले जैसा था, वैसा ही आज भी बना हुआ है।

नेपाल हिमालय में एक लाख से अधिक साल पहले बनी झील के आज भी नजर आते हैं अवशेष।
सुमन सेमवाल, देहरादून। उत्तराखंड और अन्य हिमालयी राज्यों में मानसून सीजन में भूस्खलन की घटनाएं तेजी से बढ़ जाती हैं। मौजूदा समय में उत्तराखंड में अतिवृष्टि और भूस्खलन से धराली जैसी भीषण आपदा में घटित हुई। लेकिन, इस तरह की पर्यावरणीय घटनाएं हिमालय के लिए नई नहीं हैं। आज से हजारों-लाखों साल पहले भी मानसून में ऐसी ही तीव्रता थी और भूस्खलन की दर भी लगभग समान थी। यह बात वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में आयोजित रिसर्च मीट में आइआइटी रुड़की की शोधार्थी ने डा पूनम चहल ने अध्ययन के माध्यम से रखी। यह अध्ययन यूनिवर्सिटी आफ जेरूसलम (इजरायल), जियोलाजिकल सर्वे आफ इजरायल और त्रिभुवन यूनिवर्सिटी नेपाल ने संयुक्त रूप से किया।
नेशनल जियो रिसर्च मीट में डा पूनम चहल ने अपने प्रस्तुतीकरण में बताया कि नेपाल में काली गंडकी नदी घाटी में आज से एक लाख 20 हजार साल पहले करीब 3100 मीटर की ऊंचाई में एक झील बनी थी। जिसकी गहराई करीब 450 मीटर और वह नदी क्षेत्र में 28 किलोमीटर लंबाई में बनी थी। झील क्षेत्र के अवसादों से पता चला कि यह भूस्खलन या भारी हिमस्खलन के कारण बनी। क्योंकि, नदी की धारा तक अवरुद्ध हो गई थी।
आज से 80 हजार साल पहले तक झील में भारी मानसून से अवसाद जमा होते रहे। हालांकि, इसके बाद 30 हजार साल तक अवसाद का गैप दिखा और 30 से 20 हजार साल पहले की अवधि में झील टूट गई। तब समूचा क्षेत्र बर्फ से ढक गया था। संभव है कि बर्फ के दबाव से झील टूट गई हो।
वरिष्ठ शोधार्थी डा पूनम चहल के अनुसार अवसाद जमा होने की स्थिति की जांच में यह मरीन आइसोटोपिक स्टेज-5 के अंतर्गत पाया गया। जो आज की स्थिति से मेल खाता है। यह दर 150 एमएम प्रति हजार वर्ष पाई गई। आज भी बंगाल की खाड़ी में अवसाद जमा होने की दर यही है। इससे पता चलता है कि हिमालय का शरण एक लाख बीस हजार साल पहले जो था, वहीं आज भी बना हुआ है।

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