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    Rajat Jayanti Uttarakhand: 25 साल में शहरों ने भरी उड़ान, पर्यटन व संस्कृति को दी नई पहचान

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 03:15 PM (IST)

    उत्तराखंड राज्य बनने के बाद शहरी विकास में तेजी आई है, शहरों की संख्या 63 से बढ़कर 110 हो गई है। पर्यटन और बुनियादी ढांचे के विकास ने रोजगार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है। पिछले दशक में शहरीकरण की दर 30.2% रही है। भविष्य में ग्रीन सिटी विकसित करने की योजना है, जिसके लिए काशीपुर में एक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।

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    बुनियादी ढांचे के विस्तार ने राज्य में पर्यटन व सांस्कृतिक विकास को नई पहचान दी है। आर्काइव

    अश्वनी त्रिपाठी, जागरण, देहरादून। अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड ने शहरी विकास में नए सोपान गढे़ हैं। राज्य स्थापना के समय उत्तराखंड में कुल 63 शहर थे, जो अब 110 पर पहुंच चुके हैं। शहरों के विकास और बुनियादी ढांचे के विस्तार ने राज्य में पर्यटन व सांस्कृतिक विकास को नई पहचान दी है। इससे रोजगार और आर्थिकी को नई ऊंचाइयां मिली हैं। राज्य में शहरों के खाते में कई उपलब्धियां हैं, तो चुनौतियां भी अपार हैं। पर्यटकों व वाहनों के बोझ से दबे शहरों के लिए कुदरत से तालमेल बैठाना सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है।

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    उत्तराखंड में पिछले एक दशक में 30.2 प्रतिशत की दर से शहरीकरण हुआ। राज्य की शहरी जनसंख्या वृद्धि दर औसतन 4.0 प्रतिशत प्रतिवर्ष है, जो ग्रामीण वृद्धि दर 1.2 प्रतिशत की तुलना में काफी अधिक है। अधिकांश शहरों में पर्यटन की नई संभावनाएं विकसित होने से इनकी धारण क्षमता पूरी हो चुकी है। इसे देखते हुए नए शहरों की स्थापना की कसरत शुरू की गई है।

    यद्यपि, सीमित प्राकृतिक संसाधनों में शहरों ने विकास की नई इबारत लिखी है। पहाड़ों पर स्थित होने के बाद भी यहां के शहर स्वच्छता में बेहतर कार्य कर रहे हैं। स्वच्छ भारत अभियान के तहत 27,640 व्यक्तिगत शौचालय, 2,798 सार्वजनिक शौचालय,1,000 सार्वजनिक मूत्रालय, 16 ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र स्थापित हुए हैं। प्रयोग किए गए जल प्रबंधन के लिए छह परियोजनाओं पर काम चल रहा है। कुल 50 लीगेसी वेस्ट साइटों पर 6.17 लाख मीट्रिक टन कचरा निस्तारित हो चुका है। प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत 25,698 आवासीय इकाइयां स्वीकृत हो चुकी हैं।

    शहरों ने खुद को ऐसे गढ़ा

    • शहर-पहचान
    • देहरादून – शिक्षा, आईटी, प्रशासन, पर्यटन, फार्मा
    • हरिद्वार – धार्मिक नगरी, कुंभ, उद्योग, स्वच्छता
    • ऋषिकेश – योग, एडवेंचर, आयुर्वेद
    • नैनीताल – झील, पर्यटन, न्यायालय, शिक्षा
    • हल्द्वानी – वाणिज्य, परिवहन, उद्योग
    • अल्मोड़ा – संस्कृति, हस्तशिल्प, पर्यटन
    • पिथौरागढ़ – सीमांत, ट्रेड, ट्रेकिंग, साहसिक पर्यटन
    • रुद्रपुर – औद्योगिक केंद्र, बड़े उद्योग, सड़क नेटवर्क
    • चंपावत – ऐतिहासिक स्थल, स्वच्छ, पर्यटन, लघु उद्योग

     

    आगामी वर्षों में ग्रीन सिटी विकसित किए जाएंगे, ताकि शहरों का विकास हो और पर्यावरण को नुकसान भी कम से कम हो। काशीपुर में इसके लिए सम्मेलन होगा, इस दौरान आयोजित सत्रों में भविष्य के शहरों की रूपरेखा तय की जाएगी।
    -विनोद गिरी गोस्वामी, निदेशक-शहरी विकास विभाग