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दिल्ली में उत्तराखंड की बसों के प्रवेश पर रोक! प्रदूषण के दृष्टिगत कश्मीरी गेट आइएसबीटी नहीं जा पाएंगी

दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए उत्तराखंड परिवहन निगम की 300 पुरानी डीजल बसों पर शनिवार से दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह सभी बसें बीएस-3 और बीएस-4 श्रेणी की हैं। दिल्ली सरकार पिछले तीन वर्षों से उत्तराखंड परिवहन निगम को इस बारे में सचेत कर रही थी। केवल 90 बीएस-6 डीजल और 162 अनुबंधित सीएनजी बसें ही हैं जो दिल्ली जा पाएंगी।

By Ankur Agarwal Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sat, 16 Nov 2024 08:53 PM (IST)
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Delhi Pollution : उत्तराखंड परिवहन निगम की 300 पुरानी डीजल बसों पर प्रतिबंध। फाइल
जागरण संवाददाता, देहरादून। Delhi Pollution: बढ़ते प्रदूषण के दृष्टिगत उत्तराखंड परिवहन निगम की 300 पुरानी डीजल बसों पर शनिवार से दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबंध लग गया। यह सभी बसें बीएस-3 व बीएस-4 श्रेणी की हैं। इस संबंध में दिल्ली सरकार पिछले तीन वर्ष से उत्तराखंड परिवहन निगम को सचेत कर रही थी, लेकिन परिवहन निगम प्रबंधन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

वर्तमान में उत्तराखंड परिवहन निगम के पास 90 बीएस-6 डीजल व 162 अनुबंधित सीएनजी बसें ही हैं, जो दिल्ली कश्मीरी गेट आइएसबीटी जा पाएंगी। दिल्ली मार्ग पर चलने वाली 540 बसों में से शेष 288 बसें अब दिल्ली नहीं जा पाएंगी। शनिवार शाम से इन बसों का संचालन दिल्ली के लिए रोक दिया गया, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

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तीन वर्षों से दिल्ली में डीजल बसों के प्रवेश पर प्रतिबंध की थी तैयारी

दिल्ली सरकार पिछले तीन वर्षों से प्रदूषण नियंत्रण को लेकर दिल्ली में डीजल बसों के प्रवेश पर प्रतिबंध की तैयारी कर रही थी।

इसके लिए उत्तराखंड परिवहन निगम समेत सभी राज्यों के परिवहन निगम को वर्ष 2021 से पत्र भेजे जा रहे, जिनमें एक अक्टूबर से बीएस-3 व बीएस-4 डीजल बसों के प्रवेश पर प्रतिबंध की चेतावनी दी गई थी। हालिया अगस्त में भी दिल्ली सरकार ने चेतावनी पत्र भेजा था, लेकिन उत्तराखंड परिवहन निगम ने गंभीरता नहीं दिखाई।

हालांकि, त्योहारी सीजन व उत्तराखंड सरकार के आग्रह के बाद दिल्ली सरकार ने बसों के प्रवेश को सशर्त छूट दे दी थी। इसी बीच दिल्ली का प्रदूषण उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जिस पर शनिवार से उत्तराखंड की सभी पुरानी बसों को कश्मीरी गेट आइएसबीटी में प्रवेश नहीं दिया गया व बसों का चालान भी किए गए।

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इस सूचना के बाद परिवहन निगम के महाप्रबंधक (संचालन) पवन मेहरा ने सभी डिपो प्रबंधकों को आदेश दिया कि दिल्ली कश्मीरी गेट आइएसबीटी पर केवल 162 अनुबंधित सीएनजी व 90 नई बीएस-6 बसों को ही भेजा जाए।

अकेले 175 बसें देहरादून से संचालित

बता दें कि, उत्तराखंड के सभी डिपो से दिल्ली मार्ग पर रोजाना 540 बसों का संचालन किया जाता है। इसमें अकेले 175 बसें देहरादून से संचालित होती हैं। दिल्ली मार्ग पर उत्तराखंड से करीब 50 हजार यात्री प्रतिदिन आवागमन करते हैं।

दिल्ली के प्रदूषण ने अनफिट कर दी कुमाऊं की 351 रोडवेज बसें

हल्द्वानी : शनिवार को आए आदेश ने परिवहन निगम के लिए संकट की स्थिति पैदा कर दी है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की वजह से बीएस-3 और बीएस-4 माडल की डीजल बसों के संचालन पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। ऐसे में कुमाऊं के अलग-अलग डिपो से जुड़ी उत्तराखंड रोडवेज की 351 बसें दिल्ली या दिल्ली होकर हरियाणा और राजस्थान भी नहीं जा पाएंगी।

काठगोदाम डिपो की नौ वोल्वो भी बीएस-6 माडल की नहीं है। इसलिए शाम से इनका संचालन भी बंद कर दिया गया। कुल मिलाकर रोडवेज अब अनुबंधित सीएनजी बसों पर निर्भर हो चुका है। हाल में निगम ने कुछ बसें खरीदी तो हैं, लेकिन ये संख्या भी कम है। दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने पर हर बार उत्तराखंड रोडवेज के लिए संकट की स्थिति पैदा हो जाती है।

बीएस-3 और बीएस-4 माडल की बसों पर प्रतिबंध लग जाता है, जबकि रोडवेज के बस बेड़े में 90 प्रतिशत बसें इसी श्रेणी की हैं। शनिवार को जीएम संचालन पवन मेहरा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि प्रतिबंधित श्रेणी की किसी भी बस को दिल्ली न भेजें, क्योंकि चालान होने पर रोडवेज का घाटा और बढ़ जाएगा।

दूसरी तरफ, आदेश पहुंचते ही सभी डिपो में हड़कंप मच गया। हल्द्वानी डिपो के एआरएम संजय पांडे का कहना है कि आदेश के हिसाब से ही संचालन होगा। वहीं, काठगोदाम के वरिष्ठ स्टेशन इंचार्ज डीएन जोशी ने बताया कि वोल्वो बसों को नहीं भेजा जा रहा। इस स्थिति में रविवार को यात्रियों का दबाव बढ़ने पर रोडवेज के लिए संकट की स्थिति पैदा होगी। साथ ही आय को भी झटका लगेगा।

हल्द्वानी-काठगोदाम की दिल्ली रूट की स्थिति

हल्द्वानी डिपो के पास 17 सीएनजी बसें हैं। काठगोदाम के मुकाबले उसकी पांच वोल्वो नई और बीएस-6 माडल है। इसके अलावा हाल में दो छोटी बसें और आई हैं। यानी दिल्ली के लिए 24 बसें उसके पास हैं। दूसरी तरफ काठगोदाम में 12 सीएनजी और दो नई मिलाकर 14 बसें इस मार्ग पर चलने लायक बची हैं, लेकिन सहालग सीजन पर यात्रियों का दबाव बढ़ने पर संकट की स्थिति पैदा होना तय है। दूसरी तरफ, रात में यूपी रोडवेज की बसें हल्द्वानी से जमकर दिल्ली की सवारियां भर रही हैं, क्योंकि ये बसें प्रतिबंधित श्रेणी की नहीं हैं।

जयपुर, फरीदाबाद और गुरुग्राम के लिए भी संकट

हल्द्वानी से जयपुर, गुरुग्राम, हिसार और फरीदाबाद के लिए निगम बीएस-3 और बीएस-4 माडल चलाता था। ये वाहन वाया दिल्ली होकर निकलते हैं। शनिवार को हल्द्वानी डिपो ने गुरुग्राम और फरीदाबाद के लिए एक-एक सीएनजी भेजकर काम चला लिया, लेकिन काठगोदाम डिपो की सेवा रद हो गई।

सांसद से मिले संघ पदाधिकारी, 200 बसों की मांग

उत्तरांचल परिवहन मजदूर संघ के प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को सांसद अजय भट्ट से मुलाकात कर कहा कि रोडवेज की व्यवस्था सुधारने के लिए हर वर्ष 200 बसों को खरीदने की जरूरत है। सरकार को इसके लिए बजट उपलब्ध करवाना चाहिए। इसके अलावा लंबे समय से कार्यरत संविदा और विशेष श्रेणी के कर्मचारियों को नियमित करने की मांग भी की। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रदेश महामंत्री बालमुकुंद सुयाल, शेखरानंद पांडे, बालकृष्ण शर्मा, रामप्रीत यादव, नवनीत कपिल, वीरेंद्र बिष्ट आदि मौजूद थे।

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