तिब्बत के युवा संस्कृति, कला और आत्म-अभिव्यक्ति से रच रहे हैं आधुनिक ल्हासा की पहचान
ल्हासा में युवा पीढ़ी संस्कृति और आधुनिकता का संगम कर रही है। स्केटबोर्डिंग, स्ट्रीट डांस और कॉफी जैसे नए ट्रेंड्स लोकप्रिय हो रहे हैं। युवा अपनी तिब्बती पहचान को बनाए रखते हुए आधुनिक कला और संस्कृति में रुचि दिखा रहे हैं। स्थानीय संस्कृति को नई दिशा मिल रही है, जिससे ल्हासा एक जीवंत शहर के रूप में उभर रहा है।

तिब्बत के युवा बदल रहे आधुनिक ल्हासा की पहचान
नई दिल्ली। ल्हासा की गलियों में आज एक नई ऊर्जा बह रही है — स्केटबोर्ड की आवाज, आधुनिक नृत्य की थिरकन, कॉफी की खुशबू और बच्चों की कहानियों की गूंज। कभी अपनी आध्यात्मिकता और परंपरा के लिए प्रसिद्ध यह शहर अब युवा पीढ़ी के उत्साह और नवाचार से जीवंत हो उठा है। वे परंपरा को थामे रखते हुए आधुनिकता को अपना रहे हैं और तिब्बत की राजधानी की पहचान को नए सिरे से गढ़ रहे हैं।
स्केटबोर्डिंग: आजादी की राह पर
29 वर्षीय अंग्रेज़ी शिक्षक होफमैन, ल्हासा के शुरुआती स्केटबोर्ड खिलाड़ियों में से एक हैं। वह बताते हैं, “2010 में जब हमने शुरुआत की, तब ल्हासा में स्केटबोर्ड खेलने वालों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती थी।” पोताला पैलेस स्क्वायर की सीढ़ियाँ उनका पहला स्केट पार्क बनीं और धीरे-धीरे यह जुनून एक आंदोलन में बदल गया।
तिब्बत के मशहूर स्केटर तबा ने शहर की पहली स्केटबोर्ड दुकान खोली और 2017 से हर साल 'वर्ल्ड स्केटबोर्डिंग डे' का आयोजन शुरू किया। इस साल की थीम 'स्केट टुगेदर' थी, जिसमें इंसानों से लेकर एलियंस तक को स्केटबोर्ड करते दिखाया गया। तबा कहते हैं, “स्केटबोर्डिंग सिर्फ खेल नहीं है — यह आज़ादी का प्रतीक है। गिरना और फिर उठना, यही असली हिम्मत है।”
स्ट्रीट डांस: आत्म-अभिव्यक्ति की नई भाषा
37 वर्षीय डैनसन जिंगमेई पिछले बीस वर्षों से स्ट्रीट डांस कर रहे हैं। उनके लिए यह नृत्य केवल कला नहीं, आत्म-अभिव्यक्ति का माध्यम है। वह कहते हैं, “इसका सबसे बड़ा आकर्षण स्वतंत्रता है। आधुनिक डांस की शैली से हम अपनी तिब्बती पहचान व्यक्त करते हैं। बहुत लोग सोचते हैं कि तिब्बत सिर्फ परंपरा और धर्म तक सीमित है, लेकिन हम दिखा रहे हैं कि हमारी युवा पीढ़ी आधुनिक और रचनात्मक दोनों है।”
2008 से शुरू हुआ 'डीसीबी स्ट्रीट डांस कॉन्टेस्ट' आज तिब्बत की सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं में से एक बन चुका है, जिसने ल्हासा के युवाओं को आत्मविश्वास और मंच दोनों दिया है।
कॉफी: संस्कृति का नया संगम
जहाँ कभी बटर टी का राज था, वहीं अब कॉफी अपनी जगह बना रही है। तिब्बत की पहली इंटरनेशनल कॉफी क्वालिटी जज कॉंगमू ने 2018 से अब तक ल्हासा में चार कैफ़े खोले हैं, जिनमें से एक है 'हाईलैंड कॉफी लैब'। वह कहती हैं, “हमने तिब्बत में पहली बार कॉफी बीन्स उगाई। 5.5 किलो फलों से केवल 300 ग्राम ग्रीन बीन्स निकले, लेकिन उनकी खुशबू ने सबका ध्यान खींच लिया।”
आज ल्हासा में 400 से ज़्यादा कॉफी शॉप्स हैं। कॉंगमू का ‘ल्हासा लट्टे’, जिसमें दूध का पनीर और मक्खन मिलाया जाता है, स्थानीय और वैश्विक स्वाद के संगम का प्रतीक बन गया है।
आधुनिक नृत्य: मिट्टी से जुड़ाव की कला
सोरांग ज्वोमा, आधुनिक नृत्यांगना और 'डियनज़ा थिएटर ग्रुप' की संस्थापक, अपने प्रदर्शन में ‘मिट्टी’ तत्व को केंद्र में रखती हैं। वह कहती हैं, “मिट्टी सहनशीलता और एकता का प्रतीक है। जब हम मिट्टी पर नृत्य करते हैं, तो यह धरती से हमारा सीधा संवाद बन जाता है।”
फ्रांस में आधुनिक नृत्य की पढ़ाई करने के बाद, वह ल्हासा लौटीं और यहाँ 'जियानवू स्टूडियो (सुमा)' की स्थापना की, जहाँ बच्चे आत्म-अभिव्यक्ति और आधुनिक नृत्य की शिक्षा लेते हैं। वह कहती हैं, “यह सिर्फ नृत्य नहीं, बल्कि अपने आप से बातचीत है। जब संघर्ष आपकी पसंद से जुड़ा हो, तो हर गिरावट एक नई उड़ान बन जाती है।”
कहानियाँ: बच्चों के सपनों की नींव
ल्हासा के एक कोने में हर शनिवार सुबह बच्चे 'नुओनुओ टोंगशू' पुस्तकालय में इकट्ठा होते हैं, जहाँ कहानीकार और शिक्षक ज़ाछी उन्हें तिब्बती और अंग्रेज़ी में कहानियाँ सुनाते हैं। ज़ाछी, जिन्हें बच्चे प्यार से ‘कहानी राजा’ कहते हैं, ने 2018 में इस पुस्तकालय की शुरुआत की।
अब तक वह 20 से अधिक चित्र-पुस्तकें प्रकाशित कर चुके हैं — कुछ मौलिक, कुछ अनुवादित। वह कहते हैं, “मैं चाहता हूँ कि भविष्य की पीढ़ी के लिए 300 उच्च गुणवत्ता वाली तिब्बती किताबें छोड़ जाऊँ। यही मेरा सबसे बड़ा सपना है।”
नई पीढ़ी, नई दिशा
चाहे वह स्केटबोर्डिंग हो, स्ट्रीट डांस, कॉफी या कहानी कहने की कला — इन सभी में एक समान भावना है: स्थानीय संस्कृति को नई संस्कृति के साथ मिलाना। ल्हासा अब केवल परंपरा का प्रतीक नहीं, बल्कि परिवर्तन की प्रयोगशाला बन चुका है। यहाँ के युवा अपनी पहचान को नए रूप में गढ़ रहे हैं — रचनात्मकता, साहस और आत्म-विश्वास के साथ।
आज का ल्हासा केवल एक शहर नहीं, बल्कि एक जीवंत कला है — जो अपनी मिट्टी, कॉफी की खुशबू और स्केटबोर्ड की गति से दुनिया को एक नया तिब्बत दिखा रहा है।

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