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ईरान में एक हफ्ते में ही फिर से होंगे राष्ट्रपति चुनाव, 5 जुलाई को जनता डालेगी दोबारा वोट; ये है बड़ी वजह

ईरान में आम लोगों से अधिक से अधिक मतदान की अपील की गई थी क्योंकि इसे आर्थिक कठिनाइयों राजनीतिक और सामाजिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध के कारण जनता के असंतोष के कारण वैधता संकट का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि शनिवार को जारी गृह मंत्रालय की गणना के अनुसार इस वर्ष मतदान लगभग 40 प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया।

By Agency Edited By: Abhinav Atrey Published: Sat, 29 Jun 2024 06:13 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2024 06:13 PM (IST)
ईरान में राष्ट्रपति चुनाव में किसी को नहीं मिले पर्याप्त वोट, पांच जुलाई को दोबारा चुनाव। (फोटो, रॉयटर्स)

रॉयटर्स, दुबई। ईरान में शुक्रवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में चारों में किसी भी उम्मीदवार को निर्धारित 50 प्रतिशत से अधिक वोट नहीं मिले। इसके कारण शीर्ष वोट पाने वाले दो उम्मीदवारों के बीच पांच जुलाई को एक बार फिर से मुकाबला होगा। आगामी शुक्रवार को होने वाले चुनाव में सुधारवादी उम्मीदवार मसूद पेजेशकियान का मुकाबला कट्टरपंथी पूर्व परमाणु वार्ताकार सईद जलीली से होगा।

गृह मंत्रालय ने कहा कि किसी ने भी जीतने के लिए आवश्यक 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल नहीं किया। 2.4 करोड़ मत पड़े। मसूद पेजेशकियान 1.04 करोड़ वोट, जबकि सईद जलीली को 94 लाख वोट मिले।

इससे पहले भी हो चुका है दो बार मुकाबला

इससे पहले ईरान के इतिहास में सिर्फ एक ही बार फिर से मुकाबला उस समय हुआ जब वर्ष 2005 में कट्टरपंथी महमूद अहमदीनेजाद ने पूर्व राष्ट्रपति अकबर हाशमी रफसंजानी को हराया था।

ईरान में अधिक से अधिक मतदान की अपील

ईरान में अधिक से अधिक मतदान की अपील की गई थी, क्योंकि इसे आर्थिक कठिनाइयों, राजनीतिक और सामाजिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध के कारण जनता के असंतोष के कारण वैधता संकट का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, शनिवार को जारी गृह मंत्रालय की गणना के अनुसार इस वर्ष मतदान लगभग 40 प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया।

जलीली के पश्चिम-विरोधी विचार पेजेशकियान के विपरीत

जलीली के पश्चिम-विरोधी विचार पेजेशकियान के विपरीत हैं। विश्लेषकों ने कहा कि जलीली की जीत इस्लामिक गणराज्य की विदेश और घरेलू नीति में और भी अधिक विरोधी मोड़ का संकेत होगा। लेकिन सौम्य स्वभाव वाले पेजेशकियान की जीत से पश्चिम के साथ तनाव कम करने, आर्थिक सुधार, सामाजिक उदारीकरण की संभावनाओं में सुधार में मदद मिल सकती है।

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