Move to Jagran APP

भारतीय मुस्लिम महिला ने संयुक्त राष्ट्र में किया सीएए का समर्थन, तर्कों के साथ मानवीय पहलुओं पर दिया जोर

जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 57वें सत्र में जयपुर राजस्थान की एक मुस्लिम महिला फैजा रिफत ने भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। जयपुर की रिफत ने सीएए के उस उद्देश्य को रेखांकित किया जिसमें ये अफगानिस्तान बांग्लादेश और पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता का मार्ग प्रदान करता है।

By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 19 Sep 2024 05:45 AM (IST)
Hero Image
भारतीय मुस्लिम महिला ने संयुक्त राष्ट्र में किया सीएए का समर्थन
 जेनेवा, एएनआई। जेनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 57वें सत्र में राजस्थान की एक मुस्लिम महिला ने भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की सराहना करते हुए इसे समर्थन दिया है।

जयपुर की फैजा रिफत ने सीएए के उस उद्देश्य को रेखांकित किया, जिसमें ये अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता का मार्ग प्रदान करता है। यह अधिनियम विशेष रूप से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और इसाइयों को फायदा पहुंचाता है।

सीएए धार्मिक अल्पसंख्यकों को देगा सम्मान के साथ जीने की अनुमति

बांग्लादेश के हालिया घटनाक्रमों का संदर्भ देते हुए रिफत ने कहा कि सीएए का कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है क्योंकि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक लगातार उत्पीड़न और हिंसा का शिकार बन रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि अधिनियम इन व्यक्तियों को सुरक्षित वातावरण में प्रवास के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प प्रदान करता है और उन्हें सम्मान के साथ जीने की अनुमति देता है।

रिफत ने आगे बताया कि सीएए उत्पीड़न से भाग रहे वास्तविक शरणार्थियों और अवैध अप्रवासियों के बीच अंतर करने में मदद करता है। जिससे यह सुनिश्चित होता है कि शरण के लिए वैध दावे वाले लोगों को अवैध प्रवासन पर अंकुश लगाते हुए नागरिकता प्रदान की जाती है।

उन्होंने तर्क दिया कि यह अंतर भारत सरकार को विशेष रूप से संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में मादक पदार्थों की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों को अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित करने में सक्षम बनाता है।