'बांग्लादेश हमारी मातृभूमि है और हम कहीं नहीं जाएंगे', सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए बोले हिंदू समुदाय के लोग
शेख हसीने के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे देने और भारत लौटने के बाद से बांग्लादेश में हिंसा ने उग्र रूप ले लिया है। अब हिंसक विरोध प्रदर्शन का सामना करने के बाद बांग्लादेश में हिंदू समुदाय रविवार को बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आया। चटगांव के बंदरगाह शहर में उन्होंने जोर-जोर से नारे लगाए उन्होंने कहा बांग्लादेश हमारी मातृभूमि है और हम कहीं नहीं जाएंगे।
एजेंसी, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री पद से अवामी लीग की नेता शेख हसीना के इस्तीफे के बाद और दक्षिण एशियाई राष्ट्र में कोटा से संबंधित मुद्दे पर हिंसक विरोध प्रदर्शन का सामना करने के बाद बांग्लादेश में हिंदू समुदाय रविवार को बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आया। चटगांव के बंदरगाह शहर में उन्होंने जोर-जोर से नारे लगाए, उन्होंने कहा, 'बांग्लादेश हमारी मातृभूमि है और हम कहीं नहीं जाएंगे।' साथ ही उन्होंने संपत्तियों और पूजा स्थलों की सुरक्षा की भी मांग की।
रविवार को, बांग्लादेशी हिंदू, बुद्ध, ईसाई एकता समूह के तत्वावधान में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों ने 5 अगस्त को हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर कथित हमलों के खिलाफ एक विशाल विरोध रैली निकाली और देश छोड़कर भाग गए। बांग्लादेश में हिंदू पारंपरिक रूप से हसीना की अवामी लीग पार्टी के समर्थक रहे हैं।
मोहम्मद यूनुस ने हमलों को बताया जघन्य
बता दें कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ व्यापक और लक्षित हिंसा की खबरें आई हैं, इस मामले को संयुक्त राष्ट्र ने संज्ञान में लिया है, जिसने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम बांग्लादेशी सरकार को बुलाया है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री यूनुस, जो थे गुरुवार को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली, उन्होंने अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों की भी निंदा की और उन्हें "जघन्य" करार दिया। उन्होंने कहा, 'क्या वे इस देश के लोग नहीं हैं? आप देश को बचाने में सक्षम हैं।'
उन्होंने ये भी कहा, क्या आप कुछ परिवारों को नहीं बचा सकते? वे मेरे भाई हैं, हम एक साथ लड़े, और हम साथ रहेंगे,'' नोबेल पुरस्कार विजेता ने हाल ही में एक बांग्लादेशी विश्वविद्यालय में छात्रों से कहा।
232 लोगों की मौत,100 से अधिक हिंदू मारे गए
बता दें कि बंग्लादेश में 5 अगस्त के बाद से, पूरे बांग्लादेश में विभिन्न हमलों और संघर्षों में कम से कम 232 लोगों की मौत हो गई है, जबकि शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद से अल्पसंख्यकों के खिलाफ 52 जिलों में हमलों की कम से कम 205 घटनाएं हुई हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पिछली सरकार के पतन के बाद से देश भर में 100 से अधिक हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक मारे गए हैं।
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