पाकिस्तान में संविधान संशोधन की समीक्षा की मांग, वकीलों ने किया जोरदार विरोध
पाकिस्तान में जस्टिस अमीरुद्दीन खान ने फेडरल कांस्टिट्यूशन कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। संविधान के 27वें संशोधन के तहत बनी इस अदालत का सुप्रीम कोर्ट में विरोध हो रहा है, जिसके चलते दो न्यायाधीशों ने इस्तीफा दे दिया है। वकील और राजनेता इस संशोधन की समीक्षा की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि इससे न्यायपालिका कमजोर होगी। उन्होंने आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
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पाकिस्तान में संविधान संशोधन की समीक्षा की मांग (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान में जस्टिस अमीरुद्दीन खान ने शुक्रवार को नवगठित फेडरल कांस्टिट्यूशन कोर्ट (एफसीसी) के पहले मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति आवास पर आयोजित समारोह में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने उन्हें शपथ दिलाई।
राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री की सिफारिश पर गुरुवार रात उनकी नियुक्ति की थी। संविधान के 27 वें संशोधन के जरिये संवैधानिक मामलों की निगरानी और उससे जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए यह नई कोर्ट गठित हुई है। सरकार के इस कदम का सुप्रीम कोर्ट में कड़ा विरोध हुआ है और उसके दो वरिष्ठ न्यायाधीशों ने इस्तीफा भी दे दिया है।
जरदारी ने 6 न्यायाधीशों के नाम की घोषणा की
देश में संविधान संशोधन से बने नए कानून की समीक्षा की मांग उठ रही है। कांस्टिट्यूशन कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश समेत सात न्यायाधीश होंगे। राष्ट्रपति जरदारी ने शुक्रवार को नवगठित कोर्ट के लिए नियुक्त छह न्यायाधीशों के नाम की घोषणा की। जस्टिस सैयद हसन अजहर रिजवी, अमीर फारूक और अली बकार नजफी को सुप्रीम कोर्ट से कांस्टिट्यूशन कोर्ट में स्थानांतरित किया गया है।
नियुक्त हुए तीन अन्य न्यायाधीशों के नाम जस्टिस केके आगा, रोजी खान बारेच और अरशद हुसैन शाह हैं। इनमें अवकाश प्राप्त अरशद हुसैन शाह को तब नियुक्त किया गया जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मुसर्रत हिलाली ने नवगठित न्यायालय में कार्य करने से इन्कार कर दिया।
पाकिस्तान के वकीलों और राजनीतिक दलों ने 27 वां संविधान संशोधन लागू होने वाले दिन 13 नवंबर को काला दिवस बताया है। कहा, सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ न्यायाधीशों- मंसूर अली शाह और अतहर मिनाल्लाह का इस्तीफा देना दुखद है। सरकार के इस कदम को न्यायपालिका को कमजोर करने की साजिश बताते हुए अपमानजनक बताया गया है।
वकीलों ने दी चेतावनी
वकीलों और राजनेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश याह्या अफरीदी से मांग की है कि वह पूर्ण पीठ गठित कर 27 वें संविधान संशोधन की समीक्षा करें जिसमें सुप्रीम कोर्ट के अधिकार कम करने और सेना के अधिकार बढ़ाने वाले कदम उठाए गए हैं। देश के अधिवक्ताओं के संगठन नए कानून के विरोध में आंदोलन करने की चेतावनी पहले ही दे चुके हैं।

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