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Pakistan: आपस में क्यों लड़ रहे शिया और सुन्नी मुसलमान? अब तक 150 लोगों ने गंवाई जान; पढ़ें क्या है पूरा मामला

पाकिस्तान में शिया-सुन्नी संप्रदाय के बीच लंबे समय से हिंसा चल रही है। यह हिंसा पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (KPK) प्रांत के कुर्रम जनजातीय जिले में हुई। हिंसा की शुरुआत 21 नवंबर को हुई थी। जब कुर्रम जिले में शिया समुदाय का काफिला गुजर रहा था तभी घात लगाकर कुछ लोगों ने हमले किए। इस हमले में 42 लोगों की मौत हो गई।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Mon, 25 Nov 2024 10:38 AM (IST)
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पाकिस्तान में शिया-सुन्नी संप्रदाय के बीत हिंसा में अब तक 150 लोगों की मौत।(फोटो सोर्स: जागरण)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आतंकवाद और आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान में शिया-सुन्नी संप्रदाय (Shia sunni conflicts in pakistan)  के बीच लंबे समय से हिंसा चल रही है। दोनों समुदाय के बीच हुई झड़प में अब तक 150 लोगों की मौत हो चुकी है। भीषण हिंसा के बीच दोनों संप्रदायों के बीच बैठक हुई।

बैठक के बाद सात दिनों तक सीजफायर का पालन करने का फैसला लिया गया। रविवार को 21 लोगों की मौत हो गई। वहीं शनिवार को मारे गए 32 लोगों में 14 सुन्नी और 18 शिया संप्रदाय से लोग शामिल थे।

दोनों संप्रदाय में क्यों छिड़ी हिंसा? 

यह हिंसा पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (KPK) प्रांत के कुर्रम जनजातीय जिले में हुई। हिंसा की शुरुआत 21 नवंबर को हुई थी। जब कुर्रम जिले में शिया समुदाय का काफिला गुजर रहा था, तभी घात लगाकर कुछ लोगों ने हमले किए। इस हमले में 42 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद शिया समुदाय ने जवाबी हमला किया। फिर दोनों संप्रदाय के बीच तनाव बढ़ता गया। हिंसा बढ़ते देख KPK सरकार ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई।

जमीन बना विवाद का मुद्दा 

मौजूदा हिंसा के पीछे भूमि विवाद का मामला है। संघर्ष शिया बहुल जनजाति मालेखेल और सुन्नी बहुल जनजाति मडगी कलाय के बीच जारी है। पाराचिनार से 15 किमी दक्षिण में स्थित बोशेहरा गांव में स्थित भूमि के एक टुकड़े को लेकर यह दंगे भड़के हैं।

यह कृषि भूमि है। इसका स्वामित्व शिया जनजाति के पास है। मगर खेती करने के लिए इसे सुन्नी जनजाति को पट्टे पर दिया गया। इसी साल जुलाई में पट्टे की समय सीमा खत्म हो चुकी है। मगर सुन्नी मुसलमानों ने जमीन वापस करने से मना कर दिया। इस बात को लेकर दोनों संप्रदाय के बीच हिंसा हो रही है। 

KPK प्रांत की सरकार के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि दोनों संप्रदाय के बुजुर्गों ने बैठक में फैसला किया कि मारे गए लोगों के शव एक दूसरे को लौटा दिए जाएं। बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी की जिन लोगों को बंधक बनाया गया है, उन्हें भी लौटा दिया जाए। कैदियों में महिलाएं भी शामिल हैं।

हिंसा के मामले में कुर्रम जिला सबसे संवेदनशील

खैबर पख्तूनख्वा,  अफगानिस्तान सीमा के नजदीक है। वहीं, कुर्रम जिला अफगानिस्तान से नजदीकी और आतंकवादी समूहों की मौजूदगी की वजह से बेहद संवेदनशील है। कुर्रम एक कबायली इलाका है, जो अपनी जटिल सामाजिक-राजनीतिक बनावट के लिए जाना जाता है। शिया और सुन्नी दोनों की यहां अच्छी आबादी है।  कुर्रम में पिछले कुछ महीनों में हुई हिंसा में करीब 150 लोगों की जान जा चुकी है।

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