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ब्रिटेन में 4 जुलाई को होने वाले आम चुनाव से बदलेगा इतिहास, भारतीय मूल के उम्मीदवारों की संख्या 100 से अधिक

4 जुलाई को ब्रिटेन में आम चुनाव होने वाले हैं। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने 22 मई को चुनाव का ऐलान किया था। इस चुनाव की खास बात यह होगी कि यह देश के इतिहास में सबसे विविध संसद बनने की उम्मीद है। बता दें कि अगर लेबर पार्टी को बहुमत प्राप्त हुआ तो पार्टी के पास जातीय अल्पसंख्यक सांसदों की संख्या अब तक की सबसे अधिक होगी।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Published: Wed, 03 Jul 2024 04:43 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2024 05:16 PM (IST)
ब्रिटेन में 4 जुलाई को होने वाले आम चुनाव से बदलेगा इतिहास (Image: Internet)

पीटीआई, लंदन।  ब्रिटेन के आम चुनाव से देश के इतिहास में सबसे विविध संसद बनने की उम्मीद है। इसमें देश भर से चुने जाने वाले भारतीय मूल के सांसदों की संख्या भी शामिल है। 

ब्रिटिश फ्यूचर थिंक टैंक के विश्लेषण के अनुसार, अगर लेबर पार्टी को बहुमत प्राप्त होता है, तो पार्टी के पास जातीय अल्पसंख्यक सांसदों की संख्या अब तक की सबसे अधिक होगी। इसके अलावा भारी बहुमत की स्थिति में यह संख्या और भी अधिक होगी।

100 से अधिक भारतीय सांसद लड़ रहे चुनाव

जिस देश ने 200 साल तक दुनिया भर में राज किया था। आज वहीं ब्रिटेन की संसद में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि ऋषि सुनक समेत भारतीय मूल के कुल 107 उम्मीदवार आम चुनाव लड़ने जा रहे हैं। संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में कुल 15 भारतीय सांसद हैं। वहीं, इस बार कंजरवेटिव पार्टी के 30 ब्रिटिश भारतीय प्रत्याशी आम चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इसमें  23 नये चेहरे है। वहीं, लेबर पार्टी के 33 ब्रिटिश भारतीय प्रत्याशी है, जिसमें 26 नये चेहरों को मौका दिया गया है। 

इसके अलावा, भारतीय मूल के सात वरिष्ठ नेताओं को दोबारा चुनाव का टिकट मिला है। कंजरवेटिव पार्टी से ऋषि सुनक, प्रीति पटेल और सुएला ब्रेवरमैन का नाम प्रमुख है। वहीं, लेबर पार्टी से तनमनजीत सिंह ढेसी, वैलेरी वाज और सीमा मल्होत्रा का नाम प्रमुख हैं। 

ये हैं कुछ भारतीय प्रत्याशियों के नाम

  • डॉक्टर रेवा गुडी
  • नुपुर मजूमदार
  • एरिक सुकमरन
  • उदय नागाराजु
  • हजीरा पिरान्हा
  • राजेश अग्रवाल
  • डॉक्टर जीवुन संधेर
  • मोहम्मद हानिफ अली

14 प्रतिशत सांसद जातीय अल्पसंख्यक बैकग्राउंड से

इस बार लगभग 14 प्रतिशत सांसद जातीय अल्पसंख्यक बैकग्राउंड से आ रहे हैं। विश्लेषण में पाया गया है कि नई संसद ब्रिटिश वोटर्स की विविधता को प्रतिबिंबित करने के पहले से कहीं अधिक करीब होगी। ब्रिटिश फ्यूचर के निदेशक सुन्दर कटवाला ने कहा, 'इस चुनाव में जातीय अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व में सबसे बड़ी वृद्धि होगी और संसद में अब तक की सबसे अधिक विविधता होगी। 

भारतीय मूल के 15 सांसदों ने लड़ा था चुनाव

2019 के पिछले आम चुनाव में भारतीय मूल के 15 सांसदों ने चुनाव लड़ा था, जिनमें से कई पहली बार चुनाव लड़ रहे सांसदों के साथ फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद आलोक शर्मा और लेबर के दिग्गज वीरेंद्र शर्मा उन सबसे हाई-प्रोफाइल ब्रिटिश भारतीयों में शामिल हैं, जो इस बार फिर से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। 

दो ब्रिटिश सिख उम्मीदवार

पंजाबी मतदाताओं की बड़ी संख्या वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में दो ब्रिटिश सिख उम्मीदवार हैं - संगीत कौर भैल और जगिंदर सिंह। गुरुवार के चुनावों में देखने लायक कुछ प्रमुख ब्रिटिश भारतीय उम्मीदवारों में प्रफुल नरगुंड शामिल हैं, जो इस्लिंगटन नॉर्थ में लेबर पार्टी के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। यह पार्टी के अब निलंबित पूर्व नेता जेरेमी कॉर्बिन की सीट है, जो एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।

हाउस ऑफ कॉमन्स में लगभग 158 नए सांसद

जस अठवाल एक अन्य लेबर गढ़ आईफोर्ड साउथ में चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि बैगी शंकर डर्बी साउथ में, सतवीर कौर साउथेम्प्टन टेस्ट में और हरप्रीत उप्पल हडर्सफील्ड में पार्टी के लिए अधिक सीमांत सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस बीच, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के उत्तरी इंग्लैंड में रिचमंड और नॉर्थलेर्टन की अपनी सीट पर बने रहने की उम्मीद है। शुक्रवार को चुने गए नए संसद में हाउस ऑफ कॉमन्स में लगभग 158 नए सांसद होंगे।

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