Exclusive Interview: प्रयागराज के शैलेंद्र ने सारी प्रॉपर्टी बेचकर बनाया खास इंजन, मिलेगा 176KM तक का माइलेज
प्रयागराज के शैलेंद्र कुमार गौर ने एक विशेष इंजन बनाया है। उनका दावा है कि यह इंजन इंटरनल कंबशन इंजन में बदलाव करके माइलेज को बहुत बढ़ाता है। उनके प्रोटोटाइप ने 100cc की बाइक पर 176 किलोमीटर से ज्यादा का माइलेज दिया। शैलेंद्र ने इंजन के हैंडल को बदलकर ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाया है जिससे प्रदूषण भी कम होता है।

ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। प्रयागराज के साइंस ग्रेजुएट शैलेंद्र कुमार सिंह गौर ने एक ऐसा इंजन बनाने का दावा किया है जो गाड़ियों की दुनिया में एक क्रांति ला सकता है। हमसे बात करते उन्होंने बताया कि उन्होंने इंटरनल कंबशन (IC) इंजन में एक मौलिक बदलाव किया है, जिससे इसका माइलेज बहुत ज्यादा बढ़ गया है। एक 100cc की बाइक पर उनका प्रोटोटाइप 176 किलोमीटर से ज्यादा का माइलेज दे चुका है, और उनका मानना है कि थोड़े और फंड मिलने पर यह आंकड़ा 200 किलोमीटर से ज्यादा तक पहुंच सकता है।
क्या है यह अनोखी तकनीक?
- शैलेंद्र गौर ने बताया कि उनकी तकनीक पुराने इंजनों से बहुत अलग है। पुराने इंजन में जब बहुत ज्यादा दबाव होता था, तब उसका मैक्स थ्रट 25 डिग्री पर होता था। उन्होंने इसमें बदलाव करके इसे मैक्स थ्रट 60 डिग्री पर सेट किया, जिससे इंजन की ऊर्जा का ज्यादा इस्तेमाल हो पाता है। उन्होंने बताया कि जहाँ पुराने इंजन सिर्फ 30% ऊर्जा का इस्तेमाल करते थे, उनका इंजन 70% तक ऊर्जा का उपयोग करता है।
- इस तकनीक से सिर्फ माइलेज ही नहीं बढ़ता, बल्कि प्रदूषण भी लगभग खत्म हो जाता है। उन्होंने बताया कि उनकी बाइक के साइलेंसर का तापमान बहुत कम होता है और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) की मात्रा लगभग शून्य है, जिससे यह प्रदूषण मुक्त है। उन्होंने यह भी बताया कि इस इंजन में पेट्रोल, डीजल, CNG और एथनॉल जैसे किसी भी तरह के फ्यूल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
संघर्ष और सफलता की कहानी
- शैलेंद्र गौर ने इस रिसर्च के लिए बहुत बड़ा त्याग किया। उन्होंने बताया कि फंड की कमी के चलते उन्होंने अपनी सारी प्रॉपर्टी बेच दी और अपने किराए के घर को ही वर्कशॉप बना लिया। उन्होंने टाटा मोटर्स के लिए काम करने से मना नहीं किया, बल्कि वे अपनी तकनीक का प्रेजेंटेशन देने गए थे। उस समय यूके ब्रांच के हेड उनसे मिले और उन्होंने प्रोटोटाइप बनाने के लिए कहा।
- गौर ने बताया कि इस काम के लिए उन्होंने मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT) में प्रोफेसर अनुज जैन के साथ 6 महीने तक रोजाना 5-6 घंटे बैठकर इंजन की बारीकियां सीखीं। उन्होंने अपनी एक पुरानी प्रोटोटाइप का जिक्र किया, जिसे उन्होंने एक कंपनी को 120 किमी/लीटर का माइलेज चलाकर दिखाया था, लेकिन रिसर्च एंड डेवलपिंग टीम ने उसे खारिज कर दिया, जिसके बाद कंपनी के मालिक के हस्तक्षेप से ही वह समझ पाए कि यह तकनीक कितनी कारगर है।
तकनीक का भविष्य और पेटेंट
शैलेंद्र गौर का कहना है कि उनकी तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ बाइक में ही नहीं, बल्कि सबसे बड़े इंजन जैसे पानी के जहाज से लेकर सबसे छोटे इंजन जैसे मोटरसाइकिल तक में किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके नाम पर दो पेटेंट (एक डिजाइन और एक प्रोसेस के लिए) हैं और वह कुछ और पेटेंट दाखिल करने की तैयारी में हैं। उन्होंने आखिर में अपनी मायूसी जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने अपना काम कर दिया है और अब यह देश पर निर्भर करता है कि वह इसका इस्तेमाल कैसे करता है।
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