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    FY25 में पैसेंजर व्हीकल इंडस्ट्री की रफ्तार धीमी, ICRA ने जताई सिर्फ 1-4 फीसद हो सकती है ग्रोथ

    Updated: Sun, 31 Aug 2025 11:12 AM (IST)

    रेटिंग एजेंसी ICRA के अनुसार भारतीय पैसेंजर व्हीकल इंडस्ट्री के लिए वित्त वर्ष 2025 चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस साल थोक बिक्री में 1-4% की मामूली वृद्धि दर्ज हो सकती है।कोविड के बाद ऑटो इंडस्ट्री ने शानदार रिकवरी की थी तब यह सुस्ती अब एक बड़ा संकेत है। केंद्र सरकार जीएसटी स्लैब्स में बदलाव पर विचार कर रही है जिससे कुछ गाड़ियों के दामों में राहत मिल सकती है।

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    ऑटो इंडस्ट्री में सुस्ती क्या त्योहारी सीजन देगा सहारा?

    ऑटो डेस्क, नई दिल्‍ली। भारतीय पैसेंजर व्हीकल इंडस्ट्री के लिए वित्त वर्ष 2025 चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। रेटिंग एजेंसी ICRA की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल थोक बिक्री में केवल 1-4% की मामूली वृद्धि दर्ज हो सकती है। पिछले चार महीनों (अप्रैल-जुलाई FY25) में तो बिक्री में 1.1% की गिरावट भी देखी गई। कोविड के बाद जब ऑटो इंडस्ट्री ने शानदार रिकवरी की थी, तब यह सुस्ती अब एक बड़ा संकेत है कि उच्च इन्वेंट्री और पिछले साल के मजबूत बेस का दबाव अब सामने आ रहा है।

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    इन्वेंट्री और फेस्टिव सीजन का दबाव

    • फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के मुताबिक, जुलाई 2025 तक इन्वेंट्री स्तर 55 दिनों पर पहुंच गया। यह चिंताजनक है क्योंकि त्योहारों के मौसम में कंपनियां आम तौर पर डीलरशिप्स पर ज्यादा स्टॉक भेजती हैं, ताकि प्रोडक्शन लाइन चालू रहे।
    • जुलाई के आंकड़े भी यही बताते हैं। थोक बिक्री में 8.9% की सीक्वेंशियल ग्रोथ हुई क्योंकि कंपनियों ने ओणम और आने वाले त्योहारों के लिए स्टॉकिंग की। लेकिन साल-दर-साल आधार पर बिक्री 3.4 लाख यूनिट पर स्थिर रही। खुदरा बिक्री में भी यही रुझान दिखा। सीक्वेंशियल तौर पर 10.4% बढ़ी, लेकिन पिछले साल की तुलना में 0.8% कम रही।

    SUV का दबदबा बरकरार

    भारत के पैसेंजर व्हीकल मार्केट में SUVs की बादशाहत कायम है। कुल बिक्री में SUVs की हिस्सेदारी अब 65-66% तक पहुंच चुकी है। एंट्री-लेवल कॉम्पैक्ट SUV से लेकर प्रीमियम 3-रो मॉडल तक का वेराइटी ग्राहकों को आकर्षित कर रही है। छोटे कार और सेडान सेगमेंट में सुस्ती के बावजूद, SUV सेगमेंट ही कंपनियों की जान बचा रहा है।

    पॉलिसी से मिल सकती है राहत

    नीति स्तर पर भी कुछ सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। केंद्र सरकार GST स्लैब्स (5%, 12%, 18%, 28%) में से दो को हटाकर सिर्फ 5% और 18% रखने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है तो कुछ गाड़ियों के दामों में राहत मिल सकती है, जिससे मांग को मजबूती मिलेगी।

    एक्सपोर्ट बना सहारा

    घरेलू बिक्री दबाव में है, लेकिन निर्यात (Exports) से इंडस्ट्री को कुछ राहत मिली है। जुलाई 2025 में निर्यात 9% सालाना बढ़ा, जिसमें मारुति सुजुकी और हुंडई मोटर इंडिया ने अहम योगदान दिया। हालांकि बेस कम था, लेकिन यह साफ है कि भारतीय कंपनियों के लिए ओवरसीज मार्केट एक बैकअप रोल निभा रहा है।

    आगे क्या?

    अब सबकी नजरें 1 सितंबर पर टिकी हैं, जब अगस्त 2025 की बिक्री के आंकड़े सामने आएंगे। त्योहारी सीजन यह तय करेगा कि FY25 इंडस्ट्री के लिए ठोस ग्रोथ का साल होगा या फिर सिर्फ एक ब्रेक।

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