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    छठ पूजा, बिहार का वोट, पर मजदूरी की मजबूरी… आंखों में आंसू, दिल में टीस, फिर भी लौटना पड़ेगा परदेस!

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 01:20 AM (IST)

    गढ़पुरा में छठ के लिए घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों ने अपनी यात्रा की कठिनाइयों और बिहार में रोजगार की कमी पर बात की। मुंबई और ऋषिकेश से आए मजदूरों ने बताया कि उन्हें ट्रेन में आरक्षण मिलने में दिक्कत हुई और यात्रा बहुत कष्टदायक रही। उन्होंने बिहार में विकास की गति पर संतोष जताया, लेकिन रोजगार के अवसरों की कमी को पलायन का मुख्य कारण बताया। वे चुनाव में मतदान करके वापस लौटने को मजबूर हैं।

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    आंखों में आंसू, दिल में टीस, फिर भी लौटना पड़ेगा परदेस

    संंवाद सूत्र, गढ़पुरा (बेगूसराय)। छठ महापर्व पर दूसरे राज्यों में मेहनत मजदूरी करने वालों का घर लौटने का क्रम जारी है। गढ़पुरा बस स्टैंड चौक पर बेगूसराय से बस पकड़ कर आए कुछ युवकों से यात्रा के बारे में जानकारी ली गई। 

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    इसमें मुंबई से आने वाले कुम्हारसो के संतोष कुमार, मनोहर, देशराज तथा उत्तराखंड ऋषिकेश से आने वाले गढ़पुरा के विकास कुमार ने बताया कि छठ पूजा में घर आए हैं। अब छह नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदान करके काम पर लौटेंगे। 

    पटना तक के ट्रेन में रिजर्वेशन 

    संतोष और उनके साथी का कहना है कि दो महीना पहले टिकट लिए थे। वह भी पटना तक के ट्रेन में रिजर्वेशन मिला। फिर भी ट्रेन में सफर करना मुश्किल हो गया था। यह अच्छा संयोग है कि छठ पूजा और अपने प्रदेश का चुनाव साथ पकड़ा गया है। 

    विकास कुमार बताते हैं कि करीब पांच वर्ष से ऋषिकेश में काम करते हैं। लेकिन पर्व त्योहार में घर आने में जिस तरह की परेशानी होती है, इसका शब्दों में वर्णन किया नहीं जा सकता है। इस बार ट्रेन में जो दुर्गती हुई कि अब लौटकर जाने का मन नहीं कर रहा है। लेकिन अपने बिहार में काम भी तो नहीं मिल रहा है। करें भी तो क्या करें, घर चलाने के लिए तो जाना ही पड़ेगा। 

    वोट डालने के बाद जाने का प्रोग्राम

    विधानसभा चुनाव का वोट डालने के बाद जाने का प्रोग्राम बनाया जाएगा। मुंबई और ऋषिकेश से आने वाले इन लोगों से बिहार में विकास की ली गई। बताया कि बिहार में विकास हुआ है। 

    सड़क, बिजली की व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है। लेकिन रोजी रोजगार के लिए बिहार में विकास नहीं हुआ है। इससे हम लोगों को कमाने के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है। यहां भी छोटे छोटे और बड़े उद्योग लगाएं जाएं, तभी प्रदेश से पलायन रुकेगा।