बेगूसराय में जमाबंदी पंजी सुधार में उलझनें, मृत्यु प्रमाण पत्र व वंशावली के लिए भटक रहे लोग
बेगूसराय में प्रथम चरण में राजस्वकर्मी घर-घर जाकर रैयतों और उनके उत्तराधिकारियों के बीच जमाबंदी पंजी की प्रति का वितरण कर रहे हैं। खोदावंदपुर अंचल क्षेत्र में अब तक 50 प्रतिशत से अधिक वितरण कार्य पूरा हो चुका है। खोदावंदपुर अंचल की आठ पंचायतों के तहत कुल 28479 जमाबंदी दर्ज हैं।
अरुण कुमार मिश्रा, जागरण, खोदावंदपुर (बेगूसराय)। राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे राजस्व महाअभियान के तहत इन दिनों पूरे प्रदेश में जमाबंदी पंजी दुरुस्त करने का कार्य तेजी से चल रहा है। प्रथम चरण में राजस्वकर्मी घर-घर जाकर रैयतों और उनके उत्तराधिकारियों के बीच जमाबंदी पंजी की प्रति का वितरण कर रहे हैं। खोदावंदपुर अंचल क्षेत्र में अब तक 50 प्रतिशत से अधिक वितरण कार्य पूरा हो चुका है। खोदावंदपुर अंचल की आठ पंचायतों के तहत कुल 28,479 जमाबंदी दर्ज हैं। इनमें से 16,534 जमाबंदी पंजी प्रतियां लोगों तक पहुंचाई जा चुकी हैं। शेष वितरण भी युद्धस्तर पर किया जा रहा है।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य भूधारियों की जमाबंदी को आनलाइन पंजी से मिलाना और उसमें यदि कोई त्रुटि है तो उसका सुधार करना है। साथ ही, जिन जमाबंदी रैयत की मृत्यु हो चुकी है, उनके उत्तराधिकारियों को वंशावली और मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर नामांतरण कराने का अवसर दिया जा रहा है। दाखिल-खारिज की प्रक्रिया और खाता-खसरा रकबा, चौहद्दी संबंधी मामलों का भी निपटारा किया जा रहा है।
हालांकि जमीनी स्तर पर यह अभियान कई पेचीदगियों में उलझा दिखाई दे रहा है। बुधवार को जागरण प्रतिनिधि ने जब विभिन्न शिविरों का जायजा लिया तो कई रैयतों और उत्तराधिकारियों ने कागजात जुटाने में गंभीर कठिनाई की बात बताई।
आलोक कुमार नामक एक उत्तराधिकारी ने बताया कि उनकी जमाबंदी पंजी दादा के नाम पर है। परिवार में कई हिस्सेदार होने के कारण वे आपसी सहमति से अपने नाम पर जमाबंदी कायम कराना चाहते हैं, लेकिन परदादा और दादा का मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं होने से यह संभव नहीं हो पा रहा है।
सरकार ने हाल में आदेश दिया था कि मृत्यु प्रमाण पत्र के अभाव में मुखिया या सरपंच द्वारा प्रमाणित वंशावली स्वीकार की जाएगी। लेकिन कई सरपंचों और पंचायत सचिवों ने इस तरह का कोई स्पष्ट आदेश मिलने से इंकार कर दिया। पंचायत सचिवों के तबादले और नए सचिवों को प्रभार नहीं मिलने की वजह से भी वंशावली सत्यापन का काम अटका हुआ है।
मेघौल निवासी अशोक मिश्रा ने बताया कि उत्तराधिकार के आधार पर नामांतरण कराना चाहते हैं, लेकिन परिवार के अन्य हिस्सेदार सहमति देने को तैयार नहीं हैं। कई परिवारों के हिस्सेदार बाहर राज्यों या विदेशों में रहते हैं, जो इतने कम समय में उपस्थित नहीं हो सकते। ऐसे में सैकड़ों मामलों का निपटारा अधर में लटकने की संभावना है।
खोदावंदपुर की सीओ प्रीति कुमारी ने बताया कि अभियान में तेजी लाने के निर्देश दिया गया है। डीएम के आदेश पर बीडीओ ने स्पष्ट किया है कि अब रैयतों द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर चौकीदार एवं वार्ड सदस्य की अनुशंसा के साथ मुखिया अथवा सरपंच वंशावली निर्गत करेंगे। इससे लोगों की समस्या दूर होगी और अभियान की सफलता सुनिश्चित की जाएगी।
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