Bihar Politics: भागलपुर में BJP की उम्मीदवारी पर संशय के बादल, अश्विनी और शाहनवाज OUT तो ओपनर कौन?
भागलपुर सीट पर राजनीतिक सरगर्मी तेज है। पूर्व मंत्री अश्विनी चौबे अपने बेटे के लिए लॉबिंग कर रहे हैं वहीं शाहनवाज हुसैन की चर्चा भी है। कई अन्य दावेदार भी मैदान में हैं जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है। कांग्रेस का कब्जा है पर भाजपा टिकट के लिए कई नेता दौड़ में हैं। अब देखना यह है कि भागलपुर का असली दावेदार कौन बनता है।

नवनीत मिश्र, भागलपुर। भागलपुर सीट (Bhagalpur Assembly Seat 2025) इस बार राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का सबसे बड़ा अखाड़ा बन गई है। कई चेहरे अपनी किस्मत आजमाने को तैयार खड़े हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे खुद भले ही मैदान में नहीं हैं, लेकिन अपने बेटे अर्जित शाश्वत चौबे के लिए जोरदार लॉबिंग कर रहे हैं।
इसी बीच यह चर्चा भी तेज हुई थी कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन भी भागलपुर से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। हालांकि, चौबे की माने तो न तो शाहनवाज लड़ेंगे और न मैं। इस बयान से एक ओर शाहनवाज की संभावनाओं पर ब्रेक लग गया, तो दूसरी ओर अर्जित चौबे की दावेदारी और मजबूत हो गई।
हालांकि, इस बीच सीट पर कई अन्य दावेदार भी लाइन में हैं, जैसे रोहित पांडेय (जो पिछले चुनाव में कांग्रेस से महज एक हजार वोट से हारे थे), मेयर वंसुधरा लाल, जिलाध्यक्ष संतोष साह, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य पवन मिश्रा, प्रीति शेखर, दिलीप मिश्रा और शिक्षाविद् प्रशांत विक्रम।
अब हालात यह हैं कि सीट पर समीकरण रोज बदल रहे हैं और बड़ा सवाल यही है, भागलपुर का असली दावेदार आखिर कौन बनेगा? हालांकि, सैयद शाहनवाज हुसैन अभी स्पष्ट कुछ नहीं कहा है कि वे विधानसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं, लेकिन क्षेत्र में लगातार रहने की वजह से संभावित प्रत्याशियों के होश उड़े हुए हैं।
भागलपुर विधानसभा सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है। विधायक अश्विनी चौबे के बक्सर से सांसद बन जाने के बाद 2014 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने नभय कुमार चौधरी को टिकट दिया था। कांग्रेस ने अजीत शर्मा को टिकट दिया। अजीत शर्मा ने जीत दर्ज की।
2015 के चुनाव में अजीत शर्मा के विरुद्ध अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत को टिकट दिया। तब के भाजपा के नगर अध्यक्ष विजय साह निर्दलीय चुनाव लड़ गए और अर्जित शाश्वत करीब 17 हजार वोट से चुनाव हार गए।
2020 के चुनाव में अर्जित शाश्वत की जगह जिलाध्यक्ष रोहित पांडेय को टिकट दिया गया। लोजपा के अगल से चुनाव लड़ने व विजय साह के एक बार फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने की वजह से रोहित पांडेय करीब एक हजार मत से चुनाव हार गए।
इस बार के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी कौन होंगे, यह अभी साफ नहीं है। यहां से पूर्व में प्रत्याशी रहे रोहित पांडेय, अर्जित शाश्वत, डॉ. बसुंधरा लाल, संतोष कुमार, पवन मिश्रा, डॉ. प्रीति शेखर, दिलीप मिश्रा व प्रशांत विक्रम चुनाव लड़ने को इच्छुक हैं।
टिकट के लिए पटना से लेकर दिल्ली तक की दौड़ लगा रहे हैं। रोहित पांडेय शुरूआती राजनीति पटना से की है। कई चुनाव में पार्टी की ओर उन्हें दूसरे राज्यों व राज्य के कई विधान और लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशी के लिए काम किया है। वे कुशल संगठनकर्ता के रूप में जाने जाते हैं। यही कारण है कि उन्हें पिछले चुनाव में पार्टी ने भागलपुर से टिकट दिया था।
अर्जित शाश्वत यहां से चार बार विधायक रह चुके अश्विनी चौबे के पुत्र हैं। चौबे और अर्जित शाश्वत लगातार यहां अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। लोगों को आकर्षित करने के लिए बड़े-बड़े कार्यक्रम चला रहे हैं। डॉ. बसुंधरा लाल वैश्य हैं और मेयर हैं। पेशे से डॉक्टर व छवी साफ रहने की वजह से उन्हें जनता ने मेयर चुना है।
संतोष कुमार पार्षद रह चुके हैं। वैश्य हैं और दो बार से जिलाध्यक्ष हैं। जिलाध्यक्ष होने की वजह से कद्दावर नेताओं के संपर्क में हैं। पवन मिश्रा खुद ब्राह्मण हैं और इनकी पत्नी गंगोता जाति से हैं। इनकी राजनीतिक पकड़ अच्छी है। पिछले कई चुनाव से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं और टिकट के प्रवल दावेदार माने जा रहे हैं। प्रशांत विक्रम शिक्षाविद हैं। भाजपा में कई वर्षों से काम कर रहे हैं। इनकी भी राजनीतिक पकड़ अच्छी है और टिकट के लिए लगातार प्रयासरत हैं।
प्रीति शेखर लंबे समय से राजनीति कर रही हैं। अच्छी वक्ता हैं और डिप्टी मेयर रह चुकी है। कई वर्षों से वार्ड पार्षद हैं। इनके पति मृणाल शेखर भाजपा के टिकट पर अमरपुर से चुनाव लड़ चुके हैं। दिलीप मिश्रा लंबे समय से राजनीति में हैं और कई सांसद विधायकों के लिए काम चुके हैं। इनकी भी राजनीतिक पकड़ अच्छी है। इन नेताओं का क्षेत्रों में चहलकदमी बढ़ गई है। टिकट के लिए पटना से लेकर दिल्ली तक का दौरा कर रहे हैं।
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